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स्वतंत्रता क्या है?

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स्वतंत्रता क्या है? एक समय था जब हमारा भारत देश अंग्रेजो की गुलामी से जकड़ा हुआ था।    गुलामी क्या है?     जब इंसान विवश होकर किसी के अधीन रहकर कार्य करता है,वो ही गुलामी है।गुलामी इंसान को वो सब कुछ करवाती है जो वो स्वयं नहीं चाहता।अंग्रेजो ने इसी तरह से हमारे भारतवासी से वो सब कुछ करवाया जो वो नहीं चाहते थे,लेकिन कई वर्षों तक किसी की हिम्मत नहीं हुई कि इन गुलामी की जंजीरों को तोड़ सके।जब बहुत समय तक हमारे देशवासी गुलामी का घूंट पीते रहे तब कुछ महान व्यक्तियों ने इस गुलामी से अपने देश को मुक्त करवाने का बीड़ा उठाया जबकि वो जानते थे कि ये लड़ाई बहुत लंबी है।अगर इस लड़ाई को जीत भी लिया तो उन्हें कोई लाभ मिलने वाला नहीं है।लेकिन ये वीर ऐसे महान व्यक्ति थे जिन्होंने अपना स्वार्थ त्यागकर अपने देश वासियों को आजाद करवाने के लिए युद्ध लड़ा ताकि ये भारत हमेशा के लिए आजाद हो सके।महात्मा गांधी,सुभाषचंद्र बोस,भगत सिंह,और ऐसे कई महान व्यक्ति हुए जिन्होंने अपने देश को आजाद करवाने मे अपना जीवन कुर्बान कर दिया।आज इन्हीं लोगों के कारण हमारा देश आजादी की खुशी मना रहा है।  ...

गवरी

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गवरी ‌राजस्थान का पारंपरिक लोक नृत्य गवरी भील जाती का मुख्य  नृत्य है जिसे वो बड़े उल्लास के साथ खेलते है।ये नृत्य मेवाड़ का प्रसिद्ध लोक नृत्य है,जो हर साल सावन और भादवे महीने मे खेला जाता है।गवरी शिव पार्वती के अटूट रिश्ते की याद दिलाता है,इसमें माता गोरी  की पूजा की जाती है जिसे भील जाती के लोग गोरचिया माता के नाम से बुलाते है।गवरी खेलने वाले सवा महीने तक अपना घर परिवार त्याग कर घर से बाहर रहते है।ये लोग सवा महीने तक कोई भी हरी सब्जी का प्रयोग नहीं करते और कई लोग तो पांवों मे चप्पल भी नहीं पहनते है।गवरी मे केवल पुरुष वर्ग ही  अभिनय करते है।ये पुरुष ही स्त्रियों के कपड़े पहनकर स्त्री का अभिनय भी कर लेते है। गवरी मे तरह तरह की भगवान की लीलाओं का वर्णन ये अपने गीतों और नाटकों के माद्यम से प्रस्तुत करते है।गोरचिया माता जी को  बीच मे स्थापित करके उनके चारों तरफ ये गवरी खेलते है।ये लोग पैरों मे घुंघरू भी पहनते है।इनकी लीलाओं मे गणेश जी,शंकर पार्वती,कृष्ण राधा,नतड़िया,हवलदार,कानजी, मीणा चोर,राजा रानी,वडलियो, बिनजारो और इसके अतिरिक्त भी कई तरह की प्रस...