भक्ति की महिमा- सेनजी महाराज के जीवन का सच
सेन भक्त के जीवन का सच
एक दिन की बात है,रोज की तरह ही सेन जी महाराज अपनी पूजा भक्ति के कार्य निपटा कर राजा के यहाँ जा रहे थे कि रास्ते मे एक साधु संतों की भजन मंडली मिल गई जो बहुत ही अच्छे भजन गा रहे थे।सेन जी महाराज उन भजनों को सुनकर अपने आप को रोक नहीं पाए और खुद भी उस मंडली मे शामिल होकर भजन गाने लगे।वो भजनों मे इतने मग्न हो गए कि,उन्हें ये भी याद नहीं रहा कि राजा के यहाँ काम करने जाना है।
अपने भक्त को इतना भक्ति मे डूबते हुए देखकर श्री कृष्ण स्वयं सेन जी महाराज का रूप धरकर राजा के महल मे चले गए।
उस राजा को कोढ़ की बीमारी थी।सेन जी महाराज का रूप धरे श्री कृष्ण ने राजा की बहुत सेवा करी,और अपना कार्य करके वहाँ से चले गए।उसी रात को राजा का कोढ़ खत्म हो गया।राजा बहुत प्रसन्न हुआ और उसने नगर मे ये ऐलान किया कि,कल सुबह सेन जी महाराज को दरबार मे पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाएगा।
उधर भजन मंडली मे भजन समाप्ति के बाद अचानक सेन जी महाराज को खयाल आया कि,वो आज राजा के दरबार मे काम करने नहीं गए।अगले दिन सेन जी महाराज डरते डरते राजा के महल मे गए।वहाँ पहुँच कर वो राजा के सामने अपनी गलती स्वीकार करने लगे और कहने लगे कि,मैं कल आपके यहाँ काम पर नहीं आ सका,उसके लिए क्षमा चाहता हु।राजा ने आश्चर्य से कहा कि,ये तुम क्या कह रहे हो।क्या तुम्हारी तबियत ठीक नहीं है?कल रात को तो तुमने मेरी इतनी सेवा करी की,मेरा रोग भी ठीक हो गया और जाते समय तुम अपना ये अंगोछा भी यहीं भूल गए थे।सेन जी महाराज ने जैसे ही वो अंगोछा देखा कि,वो जोर जोर से रोने लगे और अपने कृष्ण को याद करने लगे।वो जान गए कि उनके वेश मे राजा की सेवा करने वाले कोई और नहीं, साक्षात श्री कृष्ण थे।उन्होंने राजा से कहा कि,हे राजा!आप बहुत भाग्यशाली है,कि आपको श्री कृष्ण का स्पर्श प्राप्त हुआ ,उनके दर्शन प्राप्त हुए,क्योंकि कल रात को मैं तो किसी भजन मंडली मे चला गया था ,इसलिए आपके यहाँ आना ही भूल गया था।लेकिन मेरे कार्य को पूरा करने के लिए मेरे श्री कृष्ण आपकी सेवा करने आ गए और उन्होंने ही आपका रोग ठीक किया है।ये सुनकर राजा सेन जी महाराज के चरणों मे गिर पड़े।राजा कहने लगे कि,धन्य हो सेन जी महाराज!आपकी कृपा से मेरी कई पीढियां तर गई।सेन जी महाराज और राजा दोनो की आंखों से आँसू बहने लगे और दोनो एक दूसरे के गले मिल गए।उस दिन से राजा ने सेन जी महाराज को सेन भक्त की उपाधि प्रदान करी और अपना मंत्री नियुक्त कर दिया।
विशेष- भक्ति की महिमा का वर्णन जितना किया जाय,कम है।जो श्री कृष्ण की भक्ति करता है,वो स्वयं एक दिन भगवान के बराबर हो जाता है।श्री कृष्ण की असीम कृपा उनके भक्तों पर ऐसे बरसती है कि,भक्त को एक ऐसी पहचान मिल जाती है कि युगों युगों तक उसका नाम अमर हो जाता है।
भक्त और भगवान की जय
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