मेरा सच- चरण 13 दूसरी बार किया ब्यूटी पार्लर का कोर्स

10वी कक्षा का भी सफर पूरा हुआ और 11वी के लिए फिर से दूसरे स्कूल मे एडमिशन लेना था क्योंकि उस स्कूल मे भी10वी के बाद कक्षाएं नहीं थी।आस पास कोई सीनियर सेकंडरी स्कूल नहीं था,इसलिए घर से दूर सिटी मे रेजीडेंसी  नाम से एक स्कूल था,वहां एडमिशन  लिया।11वी मे आकर रूचि के अनुसार विषय लेने थे पर निश्चय नहीं कर पा रही थी कि आखिर क्या विषय लिया जाये।। उस समय कोई नॉलेज नहीं था कि कोनसा विषय लेने से कौनसा केरियर बनता है। अपने मन से तीन विषय ले लिए।हिंदी,राजनीति विज्ञान,और संगीत कंठ ले लिया।संगीत मे बहुत रूचि थी पर जब पता चला कि संगीत की असली पढाई क्या होती है तो रोंगटे खड़े हो गए।। मैं तो गाने को ही संगीत समझती थी लेकिन जब संगीत की कक्षा attend करी तो पता चला कि संगीत मे कितनी बारीकियां होती है।शुरु मे संगीत सीखने मे बहुत दिक्कत हुई लेकिन संगीत की अध्यापिका बहुत अच्छी थी,उनके प्रेम ने हमें संगीत केे प्रति के प्रति रुचि पैदा कर दी ।

स्कूल मे आये दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम बहुत होते थे मैं हर कार्यक्रम मे हिस्सा लेती थी।

बहुत जल्दी ही मेरी सहेलिया भी बन गई।वहां भी टीचर्स और सहपाठी सभी मुझसे बहुत प्रेम करते थे।स्कूल का टाइम 12 से 6 तक का था,इसलिये मेरी दिनचर्या भी बदल गई थी। अब तो पार्लर भी केवल छुट्टी के दिन या सर्दी,-गर्मी की छुट्टियों मे ही जा पाती थी।घर से स्कूल एक मिनी बस मे जाती थी

जिसमे जाने और आने के केवल 4 रूपये लगते थे।मैं रोज पापा से केवल 4 रूपये ही लेती थी इसके अतिरिक्त 1 रुपया भी ज्यादा नहीं लेती थी।।
मेरी सभी सहेलिया इंटरवेल मे केंटीन मे कुछ न कुछ खाती थी पर  मै  कक्षा मे ही बैठ कर अपना होम वर्क करती थी।कई लड़कियां मुझे किताबी कीड़ा कह कर मेरा मजाक भी बनाती थी

पर मै किसी को नहीं सुनती थी मुझे तो बस अपना हर काम समय के अनुसार ही करना होता था क्योंकि घर मे मम्मी को भी मदद करानी होती थी।मेरे पापा मम्मी की कठिन मेहनत और उनका संघर्ष मेरी आँखों मे घूमता रहता था। मै उन्हें किसी भी तरह अपनी तरफ से कोई तकलीफ नहीं देना चाहती थी और यही कारण था कि मैं अपने पापा से केवल 4 रूपये ही बस किराया लेती ।
                इस तरह 11वी का सफर भी पूरा हुआ और  गर्मी की छुट्टियां वापस आ गई।मैं रोज अपने घर के सब काम निपटा कर 9 बजे  वापस से पार्लर जाने लगी। अभी कुछ ही दिन हुए थे वापस पार्लर जाते हुए कि एक दिन फिर मम्मी ने गुस्से मे मुझे डॉट लगा दी और कहा कि ब्यूटी पार्लर जाकर कौनसा मुझे निहाल करने वाली है कोई पैसा थोड़े ही कमा रही है। मम्मी के तीखे वचन सुनकर मैंने अपना गुलक निकालाऔर उसमें से कुछ पैसे लेकर गुस्से गुस्से मे अकेली ऑटो मे बैठकर उदयपुर चेतक सर्किल पर पहुँच गई।।वहां पर उदयपुर का बहुत बड़ा ब्यूटी पार्लर था।हिम्मत करके उस पार्लर के अंदर गई और कहा कि मुझे आपके पार्लर मे नोकरी चाहिए। वहां की ब्यूटिशियन ने मुझसे पूछा कि तुम्हे क्या क्या काम आता है?मैंने कहा,मुझे पार्लर का सब काम आता है।उन्होंने मुझे दूसरे दिन से ही आने के लिए बोल दिया।मैं खुश होकर घर गई और मम्मी को बताया कि इतने बड़े पार्लर पर मुझे  काम मिल गया है।जब पापा को पता चला तो इतनी दूर जाने के लिए मना कर दिया,पर मैं  उस पार्लर वाले दीदी को जुबान देकर आई थी इसलिए किसी भी कीमत पर अगले दिन मुझे जाना ही था। मैं अगले दिन दुगुने उत्साह के साथ घर का सारा काम करके नए पार्लर पर टाइम से पहुँच गई।लेकिन  भगवान् ने यहाँ फिर एक परीक्षा ली।जैसे ही मैं उस नए पार्लर पर पहंची कि वहां की ब्यूटिशियन  ने मूझसे कहा कि अभी मेरे पार्लर पर स्टाफ की जरुरत नहीं है,जब जरुरत होगी  मैं तुमसे कॉन्टेक्ट कर लुंगी।उनकी इस बात को सुनकर मैं एकटक उनको देखती रही कि ऐसा कैसे हो सकता है,कल तक तो इनको जरुरत थी,आज कैसे इन्होंने मना कर दिया?
मैंने उन ब्यूटिशियन दीदी से रिक्वेस्ट करी कि प्लीज मुझे यहाँ काम करने दो।।मेरी बात सुनकर उन्होंने मुझे एक दूसरे पार्लर का address दिया कि वहां जाकर contect कर लेना वो तुम्हे काम पर जरूर रख लेंगे।
मैं वो address चिठ्ठी लेकर उस पार्लर पर गई और उन्होंने भी मुझे 1सप्ताह के ट्रायल पर रख दिया।।
अगले दिन भी तैयार होकर टाइम से एक और नए पार्लर पर गई।। आज वो उत्साह नहीं था बल्कि डर था कि कही ये पार्लर वाले भी रिजेक्ट न कर दे। लेकिन ईश्वर की कृपा से नए पार्लर मे पहला दिन बहुत अच्छा निकला ।।पहले और दूसरे दिन वहाँ कुछ काम नहीं किया,तीसरे दिन किसी कस्टमर की वैक्सिंग का काम मुझे दिया,मैंने  गलत तरीके से उनकी वैक्स कर दी

वहां की मेडम ने मेरे काम को देखा तो मुझे बहुत डॉट लगाईं और कहा कि तुम्हारा ब्यूटी का कोर्स तो अधूरा है,तुम्हे तो इसकी एबीसीडी भी नहीं आती।सुनकर मन को इतनी ठेस पहुंची और सोचने लगी कि घर वाले को पता चलेगा कि मुझे पूरा काम नहीं आता तो बहुत डॉट मिलेगी कि आखिर मैंने 2 साल  क्या सीखा?मैं नहीं जानती थी कि ब्यूटी पार्लर के कोर्स मे क्या क्या होता है?मुझे तो जो भाभी ने बताया वही मैंने सीखा।
            अब क्या था उन दीदी ने मुझसे कहा कि 6000 रूपये दे दो मैं पूरा अच्छे से कोर्स करा दूंगी। पर मैं 6000 कहा से लाती?पापा से मांगने की हिम्मत नहीं थी।मैंने उन दीदी से कहा कि मुझे आप कोर्स करा दो मैं इसके बदले आपका कोई भी काम कर दूंगी।  वो दीदी मान गए   और कहा कि 1 साल तक तुम्हे किसी प्रकार का कोई पेमेंट नहीं मिलेगा चाहे तुम्हे यहाँ कितना ही काम करना पड़े।।मैंने उनकी बात को स्वीकार किया और वापस से नए सिरे से ब्यूटी पार्लर का कोर्स शुरू किया।। इस तरह गर्मी की छुट्टियां भी खत्म हो गई और 12 वी कक्षा मे आ गई।  12वी कक्षा मे  भी स्कूल का समय वापस से सुबह 7 से 12:30 हो गया इसलिये 12वीं मे भी स्कूल की छुट्टी के बाद सीधे ही पार्लर चली जाती।
    

   वहां के ब्यूटिशियन दीदी ने मुझे बहुत अच्छे तरीके से ब्यूटी का कोर्स कराया।एक सच्चे गुरु की तरह मेरा ब्यूटी क्षेत्र मे मार्गदर्शन किया
           जिस तरह से एक संजोग की तरह मुझे आगे से आगे रास्ते मिल रहे थे वो वास्तव मे ईश्वर की ही देंन थी।।
        "सत्यम।  शिवम। सुंदरम" ।।।

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