मेरा सच चरण 5- मेरी चिट्ठी

हर साल वार्षिक परीक्षा खत्म होते ही मैं नाना जो को पोस्टकार्ड मे चिट्टी लिखती थी।।             चिट्टी की पंक्तिया इस प्रकार थी-                    सेवामें,           
          श्रीमान नानाजी को लिखी उदयपुर से आपकी दोहिती राधा का चरण स्पर्श मालूम होवे।हम सब यहाँ पर राजी ख़ुशी मजे मे है।आशा करती हूँ कि आप सब भी वहाँ मजे मे होंगे।आगे समाचार यह है कि हमारी गर्मी की  छुट्टियां पड़ गई है इसलिये आप हमें लेने आ जाये। चिठ्ठी पढ़ते ही तुरंत उदयपुर आ जाये। मुझे आपकी बहुत याद आ रही है।सभी मामा जी और मामी जी को भी मेरा चरण स्पर्श कहना।छोटी मासी को भी धोक देती हूं।चिठ्ठी पढ़ने वाले को भी मेरा नमस्कार।।।                   
                  आगे क्या लिखू आप खुद ही समझदार है।।।                                                 
      "फूल हैं गुलाब का सुगंध तो लिया करो         
       पत्र है दोहिती का जवाब तो दिया करो"       
         "गरम गरम हलवा खाया न जाये।       

        नाना नानी की याद मे रहा न जाए"।           
    पत्र पढ़ते ही जरूर आ जाना।भूलना मत।।       

                   आपकी दोहिती। 
                            राधा                       
  इस प्रकार मैं नाना जी को चिठ्ठी लिखती थी।।     नाना जो को 1 सप्ताह मे चिठ्ठी मिल जाती थी।जैसे ही उनको चिठ्ठी मिलती वो पूरे गाँव मे चिठ्ठी पढ़वाने के लिए घूमते रहते तब जाकर कोई चिठ्ठी पढ़ने वाला मिलता। जैसे ही चिठ्ठी सुनते वो इतने प्रफुलित्त हो जाते कि उस रात मारे ख़ुशी के वो सो नहीं पाते थे।अगले ही दिन नाना जी हमें लेने आ जाते थे।जिस दिन नाना जी आने वाले होते थे उस दिन सुबह से ही कौआ हमारी छत पर काँव काँव करता था।कौवे की काँव काँव से ही हम समझ जाते कि नाना जी आने वाले है।।और वास्तव मे नाना जी आ ही जाते । उस समय कौवे की काँव काँव किसी अतिथि के आने का सच्चा सूचक था।             "सत्यम शिवम् सुंदरम"              ।।

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