विशाल और अंकिता ---कुणाल और आरती

विशाल और कुणाल,ये दोनों मेरे धर्म के भाई है।मेरे कैलाश दीदी के बेटे,जिन्हें 19 साल से मैं राखी बांध रही हूँ और ये भी सगे भाई की तरह मेरा ध्यान रखते है।एक बहन को जब कोई भी तकलीफ होती है और भाई को जो दर्द महसूस होता है,वो दर्द इन दोनों भाइयों की आंखों मे मैंने महसूस किया,ये एक सच्चे रिश्ते का सबूत है,एक सच्चे प्रेम का सबूत है।जब मुझे स्कूटी चलानी नहीं आती थी और मैं बहुत डरती थी तब मेरे भाई विशाल ने मुझे गाड़ी सिखाने का संकल्प लिया और उसने दिल से पूरा किया।मैं इतना डरती थी कि कोई भी मुझे स्कूटी नहीं सीखा सकता था,लेकिन विशाल ने मुझे हिम्मत दी,मेरे अंदर के हौसले को जगाया और मुझे विश्वास दिलाया कि कोई भी काम असंभव नहीं होता।उसके विश्वास ने ऐसा चमत्कार दिखाया कि मात्र 9 दिन मै उसने मुझे ट्राफिक मे गाड़ी ले जाना सीखा दिया।
पहली बार जब मैंने खुद गाड़ी चलाई तो मै विशाल को पीछे बैठाकर अम्बा माँ के दर्शन के लिए गई।जब मैं वापस घर आई तो भगवान के सामने इतना रोई और भगवान को धन्यवाद दिया कि इतना बड़ा चमत्कार करके आपने मुझ पर बहुत उपकार किया है।मुझे ऐसा लगा मानो ईश्वर ने विशाल को मुझे गाड़ी सिखाने के लिए भेजा हो।
विशाल का ये उपहार मैं जीवन भर नहीं भूल सकती,जिसने मेरे अंदर के डर को मारकर मेरी शक्ति को जगाया।विशाल और कुणाल मेरे जीवन के वो गुरु है जिन्होंने मेरा बार बार मार्गदर्शन किया।मैं उनके इस अहसान को भूल न जाऊ,यही सोचकर मैं हर गुरु पूर्णिमा को अपने गुरु भाई विशाल से मिलने जरूर जाती हूँ।
इसके अलावा ये दोनों बहुत ही संस्कारी और दरियादिल है।हर किसी की मदद के लिए ये हमेशा तैयार खड़े रहते है।अपने माता पिता का बहुत ही आदर करते है और दोनो भाई एक दूसरे से इतना प्रेम करते है कि जिसकी व्याख्या मैं अपने शब्दों से नहीं कर सकती,बल्कि यो कहा जाए कि आज के जमाने मे भाई भाई का ऐसा प्रेम बहुत ही दुर्लभ है।
मेरे जीवन मे इन राम लक्ष्मण जैसे भाइयों का आना किसी ईश्वर के चमत्कार से कम नहीं है।
   जितना अच्छा इन दोनों भाइयों का व्यवहार है उतनी ही अच्छी इनको पत्निया मिली जो मेरी धर्म की भाभियाँ है।बड़ी भाभी का नाम अंकिता है और छोटी भाभी का नाम आरती है।दोनो ही बहुत समझदार और सुशील है।अंकिता दिन भर अपने सुसराल वालो की हर तरह से सेवा करके उन्हें हर सम्भव खुश करने का प्रयास करती रहती है।सास की हर आज्ञा को मानती है ,जिससे वो उनके पूरे परिवार मे एक अच्छी बहु मानी गई है।उसी तरह आरती भी अपने घर के हर सदस्य की खुशी का ध्यान रखती है और आरती की सबसे बड़ी बात ये है कि इसने कभी किसी को पलट कर जवाब नहीं दिया।हर बात को सहज ही स्वीकार करके ये भी सबका मन मोह लेती है।
हर औरत की तरह इनके भी कुछ सपने है जो ये कभी किसी के सामने प्रकट नहीं करती पर पता नहीं ईश्वर की कृपा से मैंने इनके अंदर के उन सपनों को महसूस किया है।ये पढ़ी लिखी है और जीवन मे कुछ करना चाहती है,पर अपनी इच्छाओं और सपनों को ये सुसराल और पति की खुशी मे न्योछावर करने मे ही अपनी महानता समझती है और इस कारण ये कभी अपने मन की बात किसी से नही कहती।ऐसी बहुये आज के युग मे मिलना बहुत ही किस्मत की बात है जो मेरी सहेली कैलाश दीदी को मिली है।ये दोनों भाभियाँ मेरा बहुत सम्मान करती है।जब भी मैं इनके घर जाती हूं, दरवाजे पर ही आ जाती है और मेरे हाथ से मेरा सामान उठा कर अंदर ले जाती है और मेरा खूब आवभगत करती है।मैं कभी जब दीदी के यहाँ रुकती हु तो ये मेरे खाने से लेकर सोने तक का पूरा ध्यान रखती है।यहाँ तक कि जब मैं बाथरूम मे नहाने जाती हूं तो टॉवेल लेकर खड़ी हो जाती है।जब मैं सोती हु तो मेरा बिस्तर ठीक से हुआ कि नही,इस बात का भी पूरा ध्यान रखती है।मुझे कई बार तो समझ नहीं आता कि ये परिवार जो मेरा अपना नहीं था,केवल मित्रता से बना था,वो मुझे किस पुण्य से मिला है,जहाँ का इतना सम्मान पाकर मैं इस जन्म मे धन्य हो गई।ये भी ईश्वर के किसी चमत्कार से कम नहीं था। 
    

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