क्षणभंगुरता - एक कबूतर का वृत्तान्त

एक क्षण की क़ीमत
दुनिया की सबसे कीमती और बलवान चीज अगर कुछ है तो वो समय है।समय समय पर इसी शक्तिशाली समय ने इंसान को कहाँ से कहाँ लाकर पटक दिया,उसे स्वयं ही पता नहीं चलता।एक क्षण मे समय की गति बदल जाती है।

जिस राम भगवान को सुबह राजसिंहासन   मिलने वाला था,उसी को सुबह होते ही वनवास मिल गया।ये इसी समय की चाल है जो प्रतिपल बदलती रहती है।

जिस रानी कैकई को राम से इतना प्रेम था, उस रानी के मन को अचानक ऐसे बदलने वाला वो समय ही तो था।
कई बार हम बहुत सी चीजों को कल पर टालते है कि कल कर लेंगे,पर क्या पता उस समय का,जो कल फिर से हमें वो अवसर ही न दे।
अभी 15 दिन पहले की ही बात है।मेरी बालकनी मे एक कबूतर ने बच्चा दिया था।भले ही वो बच्चा था,पर मुझे उससे बहुत डर लगता था।मैं डरते डरते धीरे धीरे उसके पास मे जाकर पानी और दाना रखती थी।लेकिन वो इतना नटखट था कि बार बार हल्के हल्के कदमो से मेरे कमरे मे आ जाता था।

उसके पंख अभी आये नहीं थे,इसलिए उड़ तो नहीं पाता था,बस धीरे धीरे खिसकता था।मैंने उसके लिए एक कार्टून का बक्सा  बालकनी मे रख दिया था ताकि वो उसमे सुरक्षित रह सके,पर वो उसमे भी नहीं बैठता और जैसे ही मैं बालकनी खोलती और फिर अंदर आ जाता।एक दिन मैं बालकनी खोलकर योगा कर रही थी कि वो फिर अंदर आ गया और आकर मेरे कूलर के नीचे जाकर बैठ गया।उस दिन मुझे उसके ऊपर थोड़ा गुस्सा आया और मैं उसको बोली कि तेरे लिए मैंने बाहर बक्सा रखा है,तू उसके अंदर जाकर नहीं बैठ सकता।फिर मैंने शुभम को बोला और उसने उसको पकड़कर उस बक्से मे बैठा दिया।
अगले दिन सुबह फिर मैं बालकनी का दरवाजा खोलकर योगा करने लगी ,लेकिन आज कबूतर का बच्चा अंदर नहीं आया,मैं बहुत खुश हुई कि चलो आज समझदार हो गया है,अपने आप ही समझ गया है। योगा करने के बाद घर के सारे कार्य से निवृत होकर जैसे ही मैं नाश्ता करने बैठी कि मेरी नजर कूलर के नीचे पड़ी और उस कबूतर के बच्चे की याद आ गई  । मैं तुरंत बालकनी मे उसको दाना डालने गई तो देखा कि कबूतर के बच्चे की गर्दन लटकी हुई थी,वो मर चुका था

।मेरे मुँह से आवाज ही न निकले और शरीर कम्पन्न करने लग गया।मैं अंदर आकर भगवान के सामने बहुत रोई और विचार करने लगी कि कल जो कबूतर मुझे बार बार अपने नटखटपन से परेशान कर रहा था,आज उसने मेरी परेशानी हमेशा के लिए हल कर दी।
          उस दिन पूरा दिन मैं उस कूलर के पास जाती रही और बार बार उस खालीपन को निहारती रही।उस समय मुझे एक क्षण की कीमत समझ आई कि एक क्षण कितना महत्वपूर्ण होता है।उस एक रात मे कितना कुछ बदल गया।
   इसीलिए इंसान को बुरे कार्य करने के लिए आलस कर लेना चाहिए पर अच्छे काम के लिए एक क्षण की भी देरी नहीं करनी चाहिए ,पता नहीं फिर वो अवसर न मिले।
इस कल युग मे कई लोग सोचते है कि ईश्वर की भक्ति के लिए पूरी उम्र पड़ी है,बुढापे मे कर लेंगे,पर क्या भरोसा उस समय का जो बुढ़ापा आने से पहले ही वो मौका हमसे छीन ले।इसलिए हर इंसान को अपनी रोज की जिंदगी के 2 घंटे प्रभु भक्ति मे अवश्य लगाने चाहिए क्योंकि  इंसान का जन्म ही ईश्वर की भक्ति के लिए  हुआ है।कहीं ऐसा न हो उस कबूतर के बच्चे की तरह ये जीवन समय के काल चक्र मे फंस जाए और फिर कभी भक्ति का अवसर न मिले।
     

 भाया ले लो रे भक्ति रा अवसर 
                  मिले ना बारम्बार  

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