शब्दों की महत्ता


एक शब्द सुख खानी है,एक शब्द दुख रासि
एक शब्द बंधन काटे,एक शब्द गल फांसी 
कबीरदास जी ने कहा है कि एक शब्द सुखों की खान बन जाता है और एक शब्द अत्यंत दुःख देता है।एक शब्द जन्म मरण के बंधन काट देता है तो एक शब्द गले मे फांसी का फंदा भी बन जाता है।इसलिए कबीरदास जी ने शब्दों की महत्ता पर बहुत जोर देकर अनेक दोहे लिखे है।
इसी शब्द की महत्ता को मैं अपने शब्दों से,अपने अनुभव से बताने जा रही हु।

          शब्दों की महत्ता
 शब्द सुनने के लिए एक छोटा सा है, लेकिन इसकी महत्ता बहुत बड़ी है।जीवन के हर कदम पर शब्दों के साथ बहुत गहरा रिश्ता है।जिसने इसकी महत्ता को समझ लिया वो जीवन मे न कभी खुद को दुखी कर सकता है और न ही दूसरों को।क्योंकि शब्द को तोल मोल कर ही बोलना पड़ता है क्योंकि एक शब्द की मिस्टेक होने पर जब वाक्य बदल जाता है तो फिर एक शब्द से जीवन के मायने क्यों नहीं बदल सकते।जीवन मे एक समझदार इंसान की पहचान यही होती है कि वो अपने शब्दों का चुनाव कैसे करता है?घर हो,दफ्तर हो,या किसी अन्य जगह पर हो,कहाँ क्या बोलना चाहिए,उसकी पहचान करने वाला ही एक अच्छा वक्ता कहलाता है।
क्योंकि वाणी एक ऐसी ताकत है जो पल मे किसी को मित्र बना देती है और एक पल मे किसी को शत्रु बना देती है।वाणी एक ऐसी ताकत है जो एक अज्ञानी को भी मार्ग दिखा सकती है तो एक ज्ञानी के सारे मार्ग भी बंद कर सकती है।
एक आदमी अगर नोकरी लेने जाए तो सबसे पहले उसकी वाणी का परीक्षण होता है।मधुर वाणी बोलने वाले को जल्दी नोकरी मिल जाती है और रूढ़ भाषा बोलने पर अवसर के सारे द्वार बंद हो जाते है।कई बार इंसान को किसी जगह पर विवश होकर शब्दों का गलत इस्तेमाल करना पड़ जाता है,पर ऐसी स्थिति मे समझदारी यही है कि मौन हो जाओ।
अगर कोई आपका अपमान भी करे और आपको जरूरत पड़ जाए तब भी अपने शब्दों का गलत इस्तेमाल न करें।मौन एक ऐसा अंतरात्मा मे छिपा शब्द है जो स्वयं बहुत कुछ कह देता है।मौन से  उठा हुआ गुप्त शब्द इतनी चोट नहीं करता जितना शब्द के द्वारा होता है।
मौन का घाव एक दिन जरूर ठीक हो जाता है पर शब्दों का घाव कभी ठीक नहीं होता है।
कबीर दास जी ने अपने दोहे मे कहा है-
          शब्द संभाल कर बोलिये
                      शब्द के हाथ न पैर
एक शब्द औषदि ,एक करे घाव
अर्थात शब्दों को बोलते समय शब्दों का चुनाव ध्यान से करना चाहिए क्योंकि एक शब्द इंसान के लिए दवाई का कार्य करता है कि उसके बोलने मात्र से इंसान बीमारी को मात दे देता है और एक शब्द ऐसा होता है जो उसके ह्रदय पर एक ऐसा घाव कर देता है जो बहुत मुश्किल से भर पाता है।
ये शब्द न केवल बड़ो के साथ,बल्कि छोटो के साथ भी बहुत सोच समझकर बोलने चाहिए।कई बार माता पिता अपने बच्चों को डांटते डांटते इतना कुछ बोल जाते है जिसका उनको भी ध्यान नहीं होता।बच्चेकोआलसी,कमजोर,लापरवाह और भी न जाने कौनसे कौनसे शब्द बोल देते है जिसका गहरा असर बच्चे के मस्तिष्क पर पड़ जाता है और उसका परिणाम कई बार बहुत गंभीर हो जाता है।कई बार बचपन मे सुना हुआ कोई शब्द उसे जीवन भर आघात करता है ।इसलिए बच्चे को समझाने के लिए भी कभी गलत शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
कहते है सत्य बहुत कड़वा होता है लेकिन उसकी कड़वाहट को प्रकट करने के लिए भी शब्दों का चुनाव सही होना चाहिए वरना वो एक गलत शब्द सत्य पर भी दाग लगा सकता है।
       

 एक कौआ अपनी कड़वी वाणी से किसी को चोट नहीं पहुंचाता है,फिर भी लोग उसे पसंद नहीं करते, कोयल अपनी मधुर वाणी से किसी को कुछ नहीं देती है फिर भी उसकी वाणी सबको अच्छी लगती है।लोग उसकी आवाज सुनकर प्रकति की खुली हवा मे बैठते है और सकरात्मकता महसूस करते है

।ठीक इसी प्रकार एक शब्द इंसान के अंदर एक शक्ति देता है और एक शब्द  ही इंसान को कमजोर करता है।बड़े बड़े घाव समय आने पर सही हो जाते है पर वाणी का घाव बहुत गहरा होता है,ठीक होने पर भी उसका निशान हमेशा रहता है।
इसलिए गलत शब्द बोलने से कहीं ज्यादा अच्छा है कि मौन रहकर मन को शांत रखे।
  ऐसी वाणी बोलिये मन का आपा खोए
ओरण को शीतल करे आप शीतल होय

   कबीर दास जी ने कहा है कि इंसान को अपनी वाणी ऐसी रखनी चाहिए जिससे उसके अहंकार का नाश हो जाये।अपने द्वारा बोले हुए शब्दों से खुद को भी शीतल करें और दूसरों को भी शीतल करें।
          हमारे देश के राजा हो या प्रधानमंत्री उन्होंने अपने शब्दों से ही अपनी जनता का दिल जीता है।अगर राजा के पास शब्दों की सुंदरता न हो तो उनका अहंकार प्रकट होने मे समय नहीं लगेगा।देश के राजा हो या प्रधानमंत्री,इन दोनों को सबसे ज्यादा विरोधी शक्तियों का सामना करना पड़ता है।देश को अच्छा बनाने के लिए  प्रधानमंत्री कोअपने ऊपर कितनी ही विरोधियों की बाते सुननी पड़ती है फिर भी एक अच्छा राजा विरोधी लोगो को भी अपने शब्दों द्वारा छलनी नहीं करता।वो सारी विरोधी बातों को सहन करके भी हर हाल मे अपने देश का भला ही सोचता है और उसके अच्छे शब्द ही एक दिन उसकी बात को सिद्ध करते है।

एक राजा या प्रधानमंत्री चाहे तो अपनी जनता को आदेशात्मक वाक्य का प्रयोग कर सकते है,लेकिन वो अपने शब्दों मे  मेरे भाइयों और बहनों,मेरे देशवासियों जैसे शब्द का प्रयोग करके अपनी बात को प्रकट करते है।यही होती है शब्दों की सुंदरता।
इसी प्रकार साधु की भाषा मौन होती है,वो अपने मौन द्वारा अपने शब्द प्रकट करता है।इसलिए शब्द ही इंसान को अपने स्तर से गिरा भी सकता है और एक शब्द ही इंसान को अपने स्तर से उठा सकता है।
              सत्यमेव जयते
       

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