समय की कीमत

समय की कीमत

दुनिया मे समय को सबसे मूल्यवान बताया गया है।आदमी अपना गवांया हुआ पैसा अपनी मेहनत से वापस प्राप्त कर सकता है,पर अपना गवांया हुआ समय कभी प्राप्त नहीं कर सकता।ये समय ही इंसान को कभी बुरा बना देता है,कभी अच्छा बना देता है।समय अनुकूल होता है तो दुनिया की हर चीज अनुकूल हो जाती है और जब समय प्रतिकूल होता है तो दुनिया की हर चीज विरोधी हो जाती है।
ये समय ही है जो एक इंसान को एक पल मे राजा बना देता है और समय ही एक पल मे राजा को रंक बना देता है।बड़े बड़े देवता भी इस समय की मार से नहीं बच सके है।राजा हरिश्चन्द्र अपने राज्य मे बहुत सुखी थे लेकिन समय का ऐसा पहाड़ टूटा कि पल भर मे ही राज्य का हर सुख त्याग कर दर दर भटकना पड़ा।यहाँ तक कि अपनी पत्नी और पुत्र को भी बेचने की नोबत आ गई।एक बार समय जब वार करता है तो वो क्या क्या खेल खेला देता है,कोई नहीं समझ पाता है।बुरा समय एक साथ अनेक चुनोतियों को लेकर आता है और अच्छा समय एक साथ अनेक अवसर भी लेकर आता है यही इस समय का स्वभाव है।
राम भगवान का राज तिलक होने ही वाला था कि एक रात मे समय ने करवट ली कि सबकुछ उल्टा हो गया

।जहाँ राजा बनकर सिंहासन पर बैठना था वहीं अचानक मुनि वेश पहनकर वन मे जाना पड़ा।उस एक समय ने राम भगवान के जीवन मे कितनी नई चुनोतियो को जन्म दिया। जिस सीता की छबि को अपने मन मे बसाकर महलों का सुख भोगने लाये थे उसी सीता को नंगे पांव वन के काँटो पर चलना पड़ा।ये समय क्या क्या नहीं करवाता।
सृष्टि के पालनहार भगवान श्री कृष्ण को भी जेल की सलाखों के बीच जन्म लेना पड़ा और जहाँ एक बालक के जन्म लेने पर चारो तरफ खुशियों का शोरगुल होता है वहाँ इसी समय के अधीन होकर भगवान को अंधेरी और तूफानी रात मे यमुना नदी पार करके अपने माता पिता से दूर जाना पड़ा।

समय कभी ये नहीं देखता की कोई बालक है या वृद्ध।वो तो किसी पर भी अपना बल दिखा देता है।
इस समय ने भगवान को भी नहीं छोड़ा तो साधारण इंसान की तो बात ही क्या है।
   लेकिन इंसान इस समय के स्वभाव को पहचान नहीं पाता है,इसीलिए तो गलतियां करता रहता है।बहुत से इंसान इन पैसों के लालच मे एक दूसरे से लड़ते रहते है,कोई कोर्ट कचहरी तक चले जाते है,और सबसे बड़ी विडंबना तो ये है कि एक ही माँ के पेट से जन्मे बच्चे ही आपस मे धन के लिए लड़ते है।ऐसे मूर्ख इंसानों को देखकर समय दूर खड़ा देखकर हँसता है और मन ही मन कहता है कि है मूर्ख इंसान!जितना लड़ना है लड़ ले।तुझे मैं दूंगा तो उतना ही जितना तेरे भाग्य मे लिखा है।
समय ही हमें देता है और समय ही हमसे छीन लेता है।

लेकिन समय की सबसे अच्छी बात ये है  कि समय ईमानदार व्यक्तियों की हमेशा मदद करता है।ये समय ईमानदार को कभी दुखी नहीं होने देता,उन्हें हमेशा संतुष्ट रखता है।ठीक उसी तरह जिस तरह राजा हरिश्चन्द्र और राम भगवान को जो कुछ भी मिला उसे उन्होंने स्वीकार किया और अपने धर्मपथ पर बढ़ते रहे,इसलिए ऐसे लोगो की समय परीक्षा जरूर लेता है,लेकिन समय आने पर उसका उचित फल भी देता है।लेकिन रावण जैसे लोगो के पास अपार धन वैभव होते हुए भी वो दुसरो की औरत और धन पर नजर रखते हैं।हर समय दुसरो को तकलीफ पहुंचाने की कोशिश करते थ
है उन लोगो को कुछ समय के लिए ये समय बहुत खुशियां देता है लेकिन यही समय उनका अंत करता है।
समय को इसीलिए बलवान कहा है क्योंकि समय जो करता है इंसान को वो स्वीकार करना ही पड़ता है,समय से कोई लड़ नहीं सकता।
समय का सबसे बड़ा मित्र है सहजता और समय का सबसे बड़ा दुश्मन है अभिमान।जो व्यक्ति सुख और दुख दोनो मे समान रहता है।जो सुख से अहंकारी न बने और दुख से घबराए नहीं, समय उसका मित्र बनता है।जो लोग अच्छे समय को देखकर अहंकारी बन जाये,अपने सुख का प्रदर्शन करने लग जाये,समय उसका सबसे बड़ा शत्रु बन जाता है।
ऐसा नहीं है कि एक अमीर आदमी को ही अहंकार आता है कई बार एक गरीब भी अहंकारी हो सकता है।एक अमीर और सुखी इंसान को देखकर एक गरीब इंसान उससे ईर्ष्यावश अहंकार का प्रदर्शन करता है।वो जान बूझकर झूठ मुठ का दिखावा करके अपने आप को उस धनवान की बराबरी करने की कोशिश करता है।समय उसको भी देखकर उसकी मूर्खता पर हंसता है और कहता है कि अरे मूर्ख इंसान!अपनी बुद्धि का प्रयोग करता तो तुझे किसी धनवान की बराबरी करने की जरूरत नहीं पड़ती ।समय ने सबको कुछ न कुछ दिया है।इंसान की सबसे बड़ी बेवकूफी ये होती है कि उसके पास जो कुछ भी होता है,उसे वो भूलकर दुसरो से प्रतिस्पर्धा करता है और जिसके फलस्वरूप वो अपनी शक्तियों को ही भूल जाता है जो उसको ईश्वर से मिली होती है।समय ऐसे लोगो का भी कभी साथ नहीं देता।
समय उन लोगो का भी कभी साथ नहीं देता जो समय की कद्र नहीं करता।हर एक पल पल कीमती होता है।उसका सदुपयोग होना चाहिए।सदुपयोग का मतलब ये भी नहीं कि इंसान दिन रात केवल धन के पीछे भागे।किसी की मदद करना,किसी के साथ बैठकर अच्छी बातें करना,भगवान का स्मरण करना,माता पिता के सुख दुख सुनना, ये सब समय का सदुपयोग ही है।
आलसी और दिन भर इधर उधर की बाते करने वाले इंसानों पर समय बहुत नाराज होता है।क्योंकि दुसरो की पंचायती करने वाला और एक आलसी इंसान समय का सबसे ज्यादा अपमान करता है।समय अपना अपमान कभी सहन नहीं करता।
    समय आने पर समय ही हमें सबक जरूर सिखाता है।समय कभी किसी का उधार नहीं रखता।जो भी इंसान करता है उसको ब्याज समेत चुकाता है,फिर चाहे वो अच्छाई हो या बुराई।

इसलिए इस समय को समझकर ही हर इंसान को अपने जीवन मे आचरण करना चाहिए।समय को पलटते देर नहीं लगती।
 कोई भी अपने आप को बहुत बड़ा भी न समझे और कोई भी अपने आप को बहुत छोटा भी न समझे।दोनों ही समय के ही अधीन है।
एक गीत के साथ अपनी पंक्तियों को विराम देती हूं-
     समय को भरोसो कोनी
कद पलटी मार जावे
कदे कदे सु गाडरा सु सिंघ हार जावे
समय को भरोसो कोनी
कद पलटी मार जावे

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