जीवन क्या है?
एक साधारण मंच पर जब इंसान अपना अभिनय करता है तो इंसान को ये पता होता है कि वो हीरो है या विलियन।लेकिन इस जीवन के रंगमंच पर हर किरदार अपने को हीरो ही समझता है।यहाँ बुरा करने वाला भी अपने को अच्छा साबित करने की कोशिश करता है और अच्छा करने वाला भी अपने को अच्छा ही साबित करता है।इसलिए साधारण रंगमंच का परिणाम तो उसी समय आ जाता है पर जीवन के रंगमंच का कोई परिणाम नहीं आता।क्योंकि इस जीवन के रणमंच का जो जज होता है वो बोलकर कभी कुछ कहता ही नहीं कि आखिर सही कौन है और गलत कौन है?इंसान इस जीवन के इसी चक्र मे जीवन भर उलझता ही रहता है।
जीवन इन रिश्ते नातो का एक ताना बाना है,जिसके धागों की उलझनों को निकालने के लिए वो जीवन भर प्रयास ही करता रह जाता है।हर इंसान अपने आप को एक कचहरी मे ही खड़ा पाता है।जहाँ केस कभी खत्म नहीं होते।जीवन की अंतिम सांस तक ये फाइलें चलती रहती है।
जीवन रिश्ते नातों का एक ऐसा घेरा है जिससे निकलना नामुमकिन है,या तो आदमी मर कर ही निकल सकता है या सबकुछ छोड़कर सन्यासी होकर ही छूट सकता है।
जीवन पानी की वो धाराएं है जिसे एक तरफ से रोको तो दूसरी तरफ से निकल जाती है,उसी तरह यहाँ रोज इंसान एक को खुश करता है तो दूसरा नाराज हो जाता है।इंसान केवल कोशिश ही करता रह जाता है पर पूरी तरह से कभी सफल नहीं हो पाता है।
इंसान नितरोज एक नई समस्या से गुजरता है।एक समस्या से निजात पाकर खुश होता है कि अगले ही पल फिर एक नई समस्या इंतजार करती है।
जीवन एक परीक्षा है जो कभी खत्म नहीं होती।जब तक जीवन है हर रोज एक पेपर होता है जिसको हर रोज हल करना पड़ता है।कई बार तो उत्तर सही होने के बाद भी इस दुनिया रूपी अध्यापक द्वारा वो उत्तर गलत कर दिया जाता है।
जीवन एक ऐसा प्रश्न है जिसका उत्तर खोज पाना ही मुश्किल है क्योंकि इसका उत्तर सबके पास अलग अलग होता है।जैसा जिसका अनुभव होता है वो जीवन का वैसा ही उत्तर देता है।
जीवन समाज और रिश्ते नातो मे बंधा वो बंधन है जिससे इंसान मरकर ही स्वतंत्र हो पाता है।इंसान के लाख कोशिश के बाद भी ये बंधन मरते दम तक पीछा नहीं छोड़ता ,यहाँ तक कि कई लोग तो इसके मोह मे इतना जकड़े हुए होते है कि वो मरने के बाद भी इन बंधनो से नहीं छूट पाते है।कई बार इंसान इन बंधनो से घबराकर अकेला रहने को विवश हो जाता है फिर भी इन बंधनो का स्प्रे इतना मजबूत होता है कि वो चाहकर भी इन बंधनो से पीछा नहीं छुड़ा पाता और मन के किसी कोने को फिर से याद बनकर जकड़ लेता है।
जीवन एक सवाल है जिसका हल निकालना ही मुश्किल है।हर इंसान इस जीवन के जंजाल मे फंसता चला जाता है पर इसका समापन का रास्ता कही नहीं मिलता ।यही जीवन का कड़वा सच है जिसका स्वाद लेने के लिए ही ईश्वर ने ये कर्म भूमि बनाई है।
जीवन भले ही कठिन है पर फिर भी जीवन सुंदर है।यहाँ तरह तरह के लोग हमें मिलते है।तरह तरह की चीजें,आचार विचार,व्यवहार देखने को मिलता है।जीवन मे रहकर ही कटु और मधुर अनुभवों का फल चखने को मिलता है।जीवन मे रहकर ही प्रेम को समझ सकते है।जीवन है तो ही प्यार है,,प्यार है तो त्याग है,समपर्ण है।जीवन के इन्ही पलों की आंख मिचौनी ही हमे जीवन को जीना सिखाती है।
जीवन है तो ही प्रकति की हर वस्तु का आनंद है।
असल मे जीवन का दूसरा नाम आज है।हम कई बार जीवन को कल या आने वाला समझकर उसका इंतजार करते है पर असल मे जीवन इंतजार नहीं है।जो लोग जीवन को इंतजार समझते है वो जीवन को कभी पा ही नहीं सकते और उम्र भर उनका इंतजार खत्म नहीं होता है।जीवन का नाम आज है,जिसने उस आज को जी लिया,असल मे जीवन का रस उसी ने लिया है।जीवन तो पल पल जीने का नाम है।
जीवन एक संघर्ष है जिसे हर किसी को करना ही पड़ता है।भगवान चाहते तो अपने लोक मे बैठे बैठे दुष्टों का संहार कर सकते थे,पर उन्होंने साधारण इंसान बनकर अपने पुरुषार्थ द्वारा सारे कार्य किये।इसीलिए जीवन को संघर्ष कहा है।
संघर्ष के बाद हारने वाले को फिर से कोशिश करने की एक हिम्मत मिलती है और जीतने वाले को प्रोत्साहन मिलता है।जीवन हार जीत का एक मैदान है जहाँ हारने वाला भी बहुत कुछ पाता है और जीतने वाला भी बहुत कुछ पाता है।
जीवन का अर्थ अनन्त है जिसे समझ पाना ही कठिन है इसीलिए तो इसका नाम जीवन है अर्थात जीव का वन।जो भी जीव पैदा होता है उसको इसी वन मे रहकर अलग अलग तरह से तपस्या करनी पड़ती है।इसी वन मे रहकर प्राणी अपने कर्मो से अपना जन्म बिगाड़ते है और सुधारते है,यही जीवन है।
विशेष-वर्तमान को अच्छे से जीना ही जीवन का असली उद्देश्य है।
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