अच्छे और सच्चे लोग

इतने अच्छे लोग भी होते हैं दुनिया मे
    ये दुनिया बहुत बड़ी है,यहाँ भांति भांति के लोग रहते है।जीवन के इस सफर मे मेरा कई लोगो से परिचय हुआ।
    कुछ अपने होते हुए भी पराए बन गए और कुछ पराए होते हुए भी अपनेपन का अहसास जगा गए।
        अभी 2019 मे मेरा एक ऑन्टी और उनकी बेटी से संपर्क हुआ।लगभग दो या तीन बार ही मैं इनके घर ब्यूटी पार्लर के कार्य से गई थी कि इनका स्वभाव मुझे इतना अच्छा लगा जितना आज तक मैंने किसी का नहीं देखा।इन दोनों माँ बेटियों की वाणी मे इतनी मधुरता और सहजता थी कि देखकर ऐसा लगता था मानो कोई देवियां अपनी मधुर मुस्कान रूपी फूलों की बारिश कर रही हो।
मैं जब इनके घर ब्यूटी पार्लर की होम सर्विस के लिए गई तो चिरमी दीदी ने मेरे पार्लर के सामान का बैग अपने कंधे पर उठा लिया और सीढ़िया चढ़कर अपने रूम तक ले गए।मैं देखती ही रह गई कि मेरे इस कार्य के सफर मे आज तक कोई ऐसा न मिला जो मेरा वजन उठा ले पहली बार किसी की ऐसी उदारता देखी  तो मन द्रवित होकर बोल उठा कि क्या इतने अच्छे लोग भी होते है दुनिया मे।
 
   मैंने वहाँ देखा कि ये दोनो माँ बेटी अपने यहाँ काम करने वाले हर सर्वेंट के प्रति भी इतने ही उदार थे।सबके साथ इतने प्यार से बात कर रहे थे जैसे कोई माता पिता अपने बच्चो से करते है।इनके अंदर न अमीरी का कोई अभिमान दिख रहा था न ही कोई प्रदर्शन।जो भी दिख रहा था,वो केवल निर्मल मन था,जो किसी सत्य से अलग नहीं था।मुझे इन लोगो से परिचय होने पर ऐसा लग रहा था मानो मेरे ब्लॉग मेरा सच को एक शक्ति मिल गई हो।क्योंकि मेरे ब्लॉग का उद्देश्य ही यही है कि मैं सच्ची बातों और सच्चे लोगो के अनुभव को बताऊँ ।आज बोर्दिया ऑन्टी और चिरमी दीदी के बारे मे लिखकर मैं अपने आपको बहुत धन्य समझ रही हु।
          आज जहाँ चारो तरफ लोग कोरोना संकट से गुजर रहे है,सभी लोग आर्थिक स्थिति गिरने से परेशान है।ऐसे समय मे ये दोनों लोगो की मदद करने की पूरी कोशिश कर रहे है।अपने मिलने वाले कमजोर वर्ग के लोगो को फोन करके उनकी सहायता कर रहे है।
मेरा अभी इनसे ज्यादा दिन का परिचय नहीं था फिर भी ऑन्टी और चिरमी दीदी ने इस कोरोना संकट के दौरान मुझसे दो बार  फोन करके कुशलक्षेम पूछी और आर्थिक सहायता के लिए भी बोला।
उनका बोलना ही मेरे लिए किसी मदद से कम नहीं था।ऐसे समय मे मेरे लिए जो इन दोनों ने सोचा,वो बहुत बड़ी बात है।
   वास्तव मे सच्चाई यही है कि अमीरी पैसों से ही नहीं आती है,अमीरी दिल से आती है।जिसके दिल मे दूसरों की पीड़ा को समझने का दिल होता है,वो ही सच्चा अमीर है।अमीर वो है जिसको अपनी अमीरी का कोई अभिमान नहीं होता है।सच्चे अमीर अपनी किसी बात का प्रदर्शन नहीं करते।वो बहुत कुछ करके भी साधारण ही बने रहना चाहते है।
      मैंने अपने जीवन मे कई अमीर लोग देखे लेकिन वो केवल धन से ही अमीर थे।सच तो ये है कि वो सब केवल अमीर थे,असली अमीरी तो मैंने अब देखी है।
    विपरीत समय मे कोई अनजान लोग अपनी प्रेम रूपी वाणी से केवल इतना कह दे कि,हम है ना!बस इतना ही काफी होता है किसी इंसान को संकट से लड़ने के लिए।
         इन दोनों से बात करने पर मुझे ऐसा लग रहा था मानो मैं इनको कई बरसो से जानती हूं।इनके अध्भुत प्रेम रूपी वाणी ने मेरे मन को इतना आत्मविभोर कर दिया कि इनके बारे मे लिखे बिना रहा नहीं गया।
   ये दोनों प्रेम का सागर है,नम्रता का महासागर है,जिसके प्रेम रूपी जल से मेरा ह्रदय शीतल हो गया।

Comments

  1. Radha, Aap se mile to aisa laga jaise hum ek dusre ko ham
    esha se jaantein hain. Aap dusron mein jo sundarta dekhte ho woh aap ki sundarta ki wajah se dekhte ho. Aap jaisee saheli paa kar mein dhanya hui.

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  2. जय श्री कृष्ण दीदी,धन्यवाद

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  3. महान है वो हाथ जो मदद करते हैं

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    1. जय श्री कृष्ण,धन्यवाद आपके कमेंट के लिए।पर आपका नाम शो नही हो रहा है।क्या आप मेरे परिचित ही हो?

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