गुरु पूर्णिमा 2020- गुरु का महत्व
गुरु पूर्णिमा 2020
हर वर्ष आषाढ़ की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है।इस बार गुरु पूर्णिमा 5 जुलाई को मनाई जा रही है।
गुरु पूर्णिमा को महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था।महर्षि वेदव्यास ने ही महाभारत की रचना की और वो ही चारों वेदों के ज्ञाता थे।उन्होंने वेदों की रचना की जिसके माध्यम से संसार को वेदों का ज्ञान मिला,इसलिए वो संसार के गुरु कहलाये।उनके जन्म दिन से ही आषाढ़ की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का नाम दिया गया।इसी दिन हर व्यक्ति अपने अपने गुरु को स्मरण करता है और उनसे आशीष प्राप्त करता है।
हर व्यक्ति के जीवन मे गुरु का बहुत योगदान होता है।गुरु वो होता है जो हमे मार्ग दिखलाए।गुरु वो है जो हमारे जीवन के अज्ञान रूपी अंधकार को दूर करके प्रकाश दिखलाए।जरूरी नहीं कि गुरु केवल मुनि और तपस्वी ही हो।गुरु कोई भी हो सकता है।एक छोटा सा बच्चा भी हमारा गुरु हो सकता है यदि उसने हमें कोई सही दिशा बताई हो।संसार मे कोई व्यक्ति ऐसा नहीं कि उसके जीवन मे कोई गुरु न रहा हो।व्यक्ति के जन्म से ही उसे गुरु का आश्रय मिल जाता है।हमारी प्रथम गुरु हमारी माँ होती हैं जो हमें आंखे खोलते ही इस दुनिया से परिचित कराती है।उसके बाद पिता वो गुरु होता है जो हमें बोलना ,चलना इत्यादि सिखाता है।इसलिए प्रथम गुरु हमारे माता पिता ही होते हैं।उसके बाद जब हम पाठशाला मे प्रवेश करते हैं तो हमें विद्या का दान देने वाले गुरु मिलते है।विद्या देने वाले गुरु हमें जीवन जीने की,अनुशासन ,जीविकोपार्जन,उन्नति इत्यादि बहुत सी शिक्षाएं देते है जिसके बल पर हमारा विकास होता है।
इनके अलावा भी हमें जीवन मे कई लोग ऐसे मिलते हैं जिनकी प्रेरणा से हम आगे बढ़ते है जो किसी गुरु से कम नहीं होते।
ईश्वर ने भी गुरु का स्थान अपने से भी ऊंचा बताया है,क्योंकि गुरु के द्वारा ही ईश्वर तक पहुंचा जा सकता है।जिसके जीवन मे कोई गुरु न हो उसका कोई अस्तित्व नहीं है।बिना गुरु के संसार मे कुछ हासिल नहीं हो सकता।गुरु के मार्गदर्शन से ही इंसान का आद्यत्मिक और मानसिक विकास होता है।
गुरु ही हमारे अवगुणों का नाश करके हमें गुणवान बनाते है।गुरु ही हमारे अज्ञान चक्षु को खोलकर हमें वो मार्ग दिखाते है जिस पर चलकर एक दिन हम ईश्वर को प्राप्त कर सकते है।
कहते है कि भव सागर को पार कराने वाले गुरु ही होते है क्योंकि गुरु हमें वो मंत्र सिखाते है जिसके द्वारा हम मोक्ष को पहचान पाते है।
इतिहास मे अब तक ऐसे कई उदाहरण है जिन्होंने अपने गुरु की प्रेरणा से भगवान को प्राप्त किया है।मीरा बाई की भेंट जब संत रैदास से हुई तो मीरा बाई को ईश्वर तक पहुंचने का रास्ता जल्द ही मिल गया।भक्त प्रह्लाद को जब उनकी माता ने हरी कीर्तन सिखाया तो प्रह्लाद को भी शीघ्र ईश्वर की प्राप्ति हो गई।
यहाँ तक की स्वयं भगवान राम और कृष्ण को भी अपने गुरु के मार्गदर्शन से ही आगे के रास्ते मिले।जब तक जीवन मे किसी अच्छे गुरु का आगमन नहीं होता तब तक रास्ते नहीं मिल पाते ।बिना गुरु के इंसान इस संसार के चक्रव्यूह मे भटकता रहता है।इसलिए गुरु का होना अति आवश्यक है।
कबीर दास जी के इस दोहे मे गुरु की महिमा के विषय मे बहुत ही सुंदर बात कही है-
गुरु गोविंद दोई खड़े,काके लागू पाय
बलि हारी गुरु आपणी, गोविंद दियो बताये
अर्थात,ईश्वर से पहले गुरु के चरण छूने चाहिए क्योंकि गुरु के द्वारा ही ईश्वर के दर्शन मिलते है।गुरु ही हमे सत्य रूपी प्रकाश से अवगत कराते है।
गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु ,गुरु देवो महेश्वरः
गुरु साक्षात परब्रह्म,तस्मे श्री गुरुवे नमः।
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