जानिए ,कैसे हनुमान जी पर भी शनि की वक्र दृष्टि का प्रभाव पड़ा

वैसे तो जब जब  इंसान पर शनि की ढैया या साढ़े साती का प्रभाव होता है,तब तब उसको हनुमान जी की आराधना करने का उपाय बताया जाता है,क्योंकि ये माना गया है कि हनुमान जी की भक्ति करने वालो पर शनिदेव ज्यादा  कष्ट  नहीं पहुंचाते,लेकिन फिर भी  स्वयं हनुमान जी को भी कुछ समय के लिए शनि  के द्वारा कष्ट मिला।
एक बार की बात है,हनुमान जी और शनिदेव दोनो भ्रमण के लिए निकले,तब रास्ते मे उनकी कुछ बातचीत हुई,जिसमे संसार के पाप पुण्य की कुछ बाते चली।शनिदेव ने हनुमान जी से कहा कि,मैं इस संसार के पाप और पुण्यों का हिसाब रखता हूं,इसलिए उसका फल मैं ही देता हूं।इस पर हनुमान जी ने कहा कि,मैंने तो इस संसार मे अपने प्रभु श्री राम की सेवा के अलावा कभी कोई कार्य किया ही नहीं है,इसलिए मुझसे तो जीवन मे कभी कोई अपराध नहीं हुआ है,इसलिए आप मुझे तो कभी कोई दंड नहीं दे सकते।लेकिन शनिदेव ने कहा कि,नहीं हनुमान जी,इस संसार मे कोई ऐसा नहीं है,जिससे कभी कोई अपराध नहीं हुआ हो।आपने भी एक अपराध किया है।हनुमान जी ने शनिदेव से पूछा कि,कृपया करके आप मुझे बताइए कि मुझसे ऐसा क्या अपराध हुआ है।तब शनिदेव ने कहा कि,जब श्री राम और रावण का युद्ध हुआ था तब मेघनाथ ने एक यज्ञ किया था,उस यज्ञ को आपने भंग किया था,वही आपका अपराध है,जिसका फल आपको भोगना ही पड़ेगा।शनिदेव ने हनुमान जी से कहा कि,मैं  कल एक दिन के लिए तुम्हारी राशि मे प्रवेश करूंगा।
अगले दिन हनुमान जी ने एक बहुत बड़ा पत्थर हाथ पर उठाकर एक एकांत जगह पर जाकर खड़े हो गए।उन्होंने सोचा कि जैसे ही शनिदेव आएंगे,मैं इस बड़े पत्थर को उन्हीं के ऊपर फेंक दूंगा।हनुमान जी पूरे दिन उस पत्थर को उठाकर खड़े रहे पर शनिदेव नहीं आये तो शाम को उस पत्थर को फेंक दिया।तभी थोड़ी देर मे हनुमान जी ने शनिदेव को अपने समक्ष खड़ा पाया।ये देखकर हनुमान जी बोले कि,मैं सुबह से आपका इंतजार करता रहा,पर आप नहीं आये।आप मुझे सजा नहीं दे सकते।
इस पर शानिदेवजी बोले कि,है पवन पुत्र हनुमान जी!मैं तो सुबह से ही आपकी राशि मे था,अब तो मेरे जाने का समय आ गया है।मेरे ही वक्र दृष्टि के कारण ही आज आपको पूरा दिन इस भारी भरकम पत्थर को लेकर एकांत जगह पर खड़ा रहना पड़ा,और ये ही आपकी सजा थी।
शनिदेव ने कहा कि,आपने जीवन भर राम नाम का जाप किया है,इसलिए आपको मेरे दिए हुए फल की पीड़ा इतनी महसूस नहीं हुई।
इसीलिए शास्त्रों मे भी कहा है कि ईश्वर के नाम का स्मरण करने से हमारे पापों का कष्ट कम हो जाता है और विशेषतौर से जो हनुमान जी की आराधना करता है,उसको शनि पीड़ा ज्यादा परेशान नहीं करती।
विशेष-   शनि न किसी का मित्र बन सकता है और न ही किसी का शत्रु बन 
 सकता है,शनिदेव के लिए कर्म से बड़ा  कुछ नहीं होता।वो एक निष्पक्ष देवता है,वो पूरी सृष्टि को संतुलित करते है।

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