हनुमान जी के जीवन से जुड़ी कुछ रहस्यमय बातें

हनुमान जी के जीवन से जुड़ी कुछ रहस्यमय बातें
हनुमान जी वानरराज केसरी के पुत्र है।इनकी माता का नाम अंजना है जो पिछले जन्म मे एक अप्सरा थी।अंजना को बहुत समय तक कोई संतान नहीं हुई थी तो उन्होंने अन्न जल त्यागकर केवल वायु का ही भक्षण किया और शिवजी की घोर तपस्या की।शिवजी प्रसन्न हुए और उन्होंने वायु रूप मे जाकर अपने एक अंश को यज्ञ हवन मे प्रविष्ट किया ,इसी अंश से हनुमान जी का जन्म हुआ। इसी कारण हनुमान जी को पवन पुत्र भी कहा जाता है।हनुमान जी शिवजी के 11वें रौद्र अवतार थे।शिवजी ने एक बार भगवान विष्णु से एक वरदान मांगा था कि ,उन्हें भगवान विष्णु की सेवा का अवसर मिले।भगवान विष्णु ने शिव जी को वरदान दिया और कहा कि जब मैं पृथ्वी पर राम अवतार के रूप मे जन्म लूंगा तब आपको मेरी सेवा का अवसर प्रदान करूंगा और यही कारण था कि शिवजी ने अपने 11वें रौद्र रूप मे हनुमान जी के अवतार रूप  मे जन्म लिया।
   एक बार अयोध्या के राजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति की कामना के लिए एक यज्ञ करवाया ।यज्ञ की समाप्ति के बाद गुरुदेव ने राजा दशरथ को खीर का प्रसाद दिया और कहा कि ये तीनो रानियों मे बराबर बाँट देना,जल्दी ही आपके घर संतानों का जन्म होगा।राजा दशरथ वो खीर लेकर रानियों के पास गए।जब रानिया वो प्रसाद रूपी खीर ग्रहण कर रही थी तभी एक पक्षी ने आकर उस खीर पर झपटा मारा और कुछ अंश वो पक्षी अपने मुंह मे दबाकर ले गया और संयोग से उस पक्षी के मुँह से वो अंश अंजना देवी के प्रसाद की कटोरी मे जाकर गिर गया जिसे अंजना ने ग्रहण कर लिया।
इसी खीर के प्रसाद से राजा दशरथ की तीनों रानियां और अंजना गर्भवती हो गई।
एक तरफ अयोध्या मे श्रीराम का जन्म हुआ
 और दूसरी तरफ अंजना के गर्भ से हनुमान जी का जन्म हुआ।
हनुमान जी को बहुत से देवी देवताओं से शक्तियां प्राप्त हुई थी,इसलिए वो बचपन से ही बहुत शक्तिशाली थे।हनुमान जी की माता को वायुदेव ने भी पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया था,इसलिए हनुमान जी को पवन देव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त था।
 हनुमान जी बचपन मे बहुत चंचल और नटखट स्वभाव के थे,अपने इसी नटखट स्वभाव के कारण वो कई ऋषि मुनियों को परेशान करते रहते थे।अपनी पवन शक्ति के कारण वो कई ऋषियों को हवा मे उछालते रहते थे जिससे ऋषियों को तपस्या करने मे परेशानी हो रही थी।एक दिन उनकी इन्ही शैतानियों से परेशान होकर भृगुवंशी मुनियों ने हनुमान जी को श्राप दे दिया कि,हुनमान अपनी सारी शक्तियों को भूल जाये,साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि जब कोई संकट मे होगा और तब कोई हनुमान को उनकी शक्तियों की याद दिलाएगा तब हनुमान जी की शक्तियां वापस आ जायेगी।
हनुमान जी श्री राम के भक्त थे ।जब राम भगवान को वनवास हुआ था और जंगल मे माता सीता का हरण हो गया तब हनुमान की मुलाकात श्री राम से हुई और तभी सर्वप्रथम श्रीराम को ही हनुमान की सहायता की आवश्यकता पड़ी।
     जब माता सीता का पता लगाने के लिए लंका जाना था और उसके लिए समंदर लांघना था तब जामवंत ने हनुमान जी को उनकी शक्तियों की याद दिलाई  तब हनुमान जी ऋषि के श्राप से मुक्त हुए और वो अपनी शक्ति के बल पर माता सीता का पता लगा पाए।
   जब हनुमान जी ने सूर्य को निगल लिया-
   ये उस समय की बात है जब हनुमान जी छोटे थे।उनकी माता अंजना उन्हें कुटिया मे सुलाकर नहाने गई थी तभी बाल हनुमान की नींद खुली।उस समय सुबह का समय था जब सूर्योदय होने ही वाला था।बाल हनुमान जी ने जब उगते हुए सूर्य को देखा तो उन्हें लगा कि आकाश मे कोई लाल रंग का फल लगा है।हनुमान जी उड़ कर गए और सूर्य को अपने मुंह मे निगलने ही वाले थे कि राहु ने हनुमान जी पर प्रहार किया।हनुमान जी ने राहु को अपनी शक्ति से हरा दिया ।हनुमान जी ने सूर्य को अपने मुंह मे निगल दिया जिससे पूरी सृष्टि अंधकारमय हो गई।सभी देवता भी घबराने लग गए।इंद्र देव ने अपने क्रोध मे आकर हनुमान जी पर वज्र से प्रहार किया जिससे हनुमान जी की ठुड्डी पर चोट लग गई।ये देखकर पवनदेव को क्रोध आया और उन्होंने अपने वायु की गति को रोक दिया जिससे सबका जीवन खतरे मे पड़ रहा था।सभी देवी देवता ब्रह्मा जी की शरण मे गए और ब्रह्म जी ने पवन देव को शांत किया ।तब पवन देव ने वायु का संचार किया और अपने पुत्र हनुमान को सूर्य को अपने मुँह से बाहर निकालने को कहा।अपने पिता पवन देव की आज्ञा पाकर हनुमान जी ने सूर्य देव को बाहर निकाला और सम्पूर्ण सृष्टि अंधकार से बाहर आ गई।तब सभी देवी देवता ने हनुमान जी को अलग अलग शक्तियां प्रदान करी ।कुछ समय बाद हनुमान जी ने अपनी माता अंजना की आज्ञा से सूर्य देव को ही अपना गुरु बना दिया।
    इस तरह हनुमान जी को अपार शक्तियों का भंडार प्राप्त हुआ जो किसी देवी देवता को नहीं मिला।
हनुमान के शरीर पर सिंदूर लगाने का महत्व-
          एक बार माता सीता अपनी मांग मे सिंदूर भर रही थी।ये देखकर हनुमान जी ने माता सीता से इसका कारण पूछा।माता सीता ने हनुमान को सिंदूर का महत्व बताते हुए कहा कि, सिंदूर लगाने से मेरे स्वामी की उम्र लंबी होगी और मुझे अपने पति का अधिक से अधिक प्रेम प्राप्त होगा।
ये सुनकर हनुमान जी ने तुरंत माता सीता से सिंदूर लिया और अपने पूरे शरीर को सिंदूर से भर दिया।माता सीता ने हनुमान से पूछा कि,ये तुम क्या कर रहे हो?।हनुमान जी ने कहा कि,मैं अपने स्वामी श्री राम को कभी खोना नहीं चाहता।इसलिए अपने ऊपर जितना सिंदूर लगाऊंगा उतनी ही मेरे स्वामी की उम्र बढ़ेगी और मुझे अधिक से अधिक उनका स्नेह प्राप्त होगा।हनुमान जी की अपने प्रभु राम के प्रति इतना प्रेम देखकर माता सीता अत्यधिक प्रसन्न हुई और उन्होंने हनुमान जी को अष्ट सिद्धि और नव निधि प्राप्ति का वरदान के साथ संसार मे अमर होने का वरदान दिया।इसी कारण आज भी हनुमान जी  जीवित है और अपने भक्तों की रक्षा करते है।जहाँ जहाँ राम और हरी के गुणगान किये जाते है,हनुमान जी वहाँ अदृश्य रूप मे मौजूद रहते है।
कल युग के प्रभाव के कारण वो दिखाई नहीं देते है,पर भगवान के सच्चे भक्तों को वो अपनी उपस्थिति का अनुभव करवाते है।
       हनुमान जी के पुत्र का रहस्य
सारा संसार जानता है कि हनुमान जी ब्रह्मचारी थे,फिर भी उनके एक पुत्र था।
    आइए जानते है–
      बात उस समय की है जब हनुमान जी माता सीता का पता लगाने के लिए लंका गए थे।वहां पहुंचकर उन्होंने पूरी अशोक वाटिका को उजाड़ दिया था।तब रावण के पुत्र मेघनाथ ने हनुमान को बंदी बनाकर रावण के समक्ष प्रकट किया।रावण ने हनुमान जी की पूंछ मे आग लगा दी थी हनुमान जी ने उसी पूँछ से पूरी लंका को जला दिया था।जब हनुमान जी लंका को जलाकर लौट रहे थे तो उनकी पूँछ मे अत्यधिक जलन हुई और वो पसीना पसीना हो गए।तब अपनी जलन को शांत करने के लिए हनुमान जी ने अपनी पूँछ को समुन्द्र के पानी मे डाल दिया जिससे उनकी जलन शांत हो गई।तभी उनके पसीने के एक बूंद समुन्द्र के पानी मे गिरी और उस बून्द को एक मछली ने निगल लिया जिससे वो गर्भवती हो गई।हालांकि हनुमानजी उस समय इस बात से अनजान थे।
उस समय पाताल लोक पर अहिरावण का राज्य था।उस मछली ने एक वानर रूप के बालक को जन्म दिया,जिसे बाद मे अहिरावण ने अपना सैनिक बना दिया था।
बहुत समय बाद एक बार श्री राम और लक्ष्मण को अहिरावण ने बंदी बनाकर  पाताल लोक मे लेकर चला गया।तब श्री राम और लक्ष्मण को छुड़ाने के लिए हनुमान जी पाताल लोक मे गए और अहिरावण से युद्ध कर श्री राम को छुड़वाया।उस समय उनकी भेंट अपने  पुत्र मकर ध्वज से हुई जिसके जन्म की पूरी कहानी उसी मछली ने उन्हें दी।
हनुमान जी और श्री राम ने मकर ध्वज को पाताल लोक का राजा बना दिया और उन्हें आशीर्वाद देकर अयोध्या लौट गए।
         इस प्रकार अपने पूरे जीवन मे हनुमान जी के द्वारा कई रचनाये  और घटनाये घटी जिससे वो संसार मे सबसे शक्तिशाली देवता के रूप मे प्रसिद्ध हुए।
      जय बजरंग बली हनुमान जी की

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