स्वतंत्रता क्या है?

स्वतंत्रता क्या है?
एक समय था जब हमारा भारत देश अंग्रेजो की गुलामी से जकड़ा हुआ था।
   गुलामी क्या है?
    जब इंसान विवश होकर किसी के अधीन रहकर कार्य करता है,वो ही गुलामी है।गुलामी इंसान को वो सब कुछ करवाती है जो वो स्वयं नहीं चाहता।अंग्रेजो ने इसी तरह से हमारे भारतवासी से वो सब कुछ करवाया जो वो नहीं चाहते थे,लेकिन कई वर्षों तक किसी की हिम्मत नहीं हुई कि इन गुलामी की जंजीरों को तोड़ सके।जब बहुत समय तक हमारे देशवासी गुलामी का घूंट पीते रहे तब कुछ महान व्यक्तियों ने इस गुलामी से अपने देश को मुक्त करवाने का बीड़ा उठाया जबकि वो जानते थे कि ये लड़ाई बहुत लंबी है।अगर इस लड़ाई को जीत भी लिया तो उन्हें कोई लाभ मिलने वाला नहीं है।लेकिन ये वीर ऐसे महान व्यक्ति थे जिन्होंने अपना स्वार्थ त्यागकर अपने देश वासियों को आजाद करवाने के लिए युद्ध लड़ा ताकि ये भारत हमेशा के लिए आजाद हो सके।महात्मा गांधी,सुभाषचंद्र बोस,भगत सिंह,और ऐसे कई महान व्यक्ति हुए जिन्होंने अपने देश को आजाद करवाने मे अपना जीवन कुर्बान कर दिया।आज इन्हीं लोगों के कारण हमारा देश आजादी की खुशी मना रहा है।
     वास्तव मे स्वतंत्रता इंसान का प्राण है,उसकी आत्मा है।जिस तरह आत्मा पर किसी का अंकुश नहीं ,उसी तरह एक स्वतंत्र व्यक्ति पर कोई अंकुश नहीं होता।
जब इंसान अपने मन का करता है तब ही उसकी आत्मा खुश रहती है ।
अपने मन से किये हुए कार्य से व्यक्ति को जो आत्मिक आनंद मिलता है,वो ही असली स्वतंत्रता है।लेकिन मन से किये हुए हर कार्य का परिणाम अच्छा हो,ये जरूरी नहीं है।कई बार इंसान इसी स्वतंत्रता का फायदा उठाकर अपनी
 मनमानी से कुछ गलत भी कर लेता है जिससे उसी का अहित हो जाता है।
एक अनाड़ी और अज्ञानी इंसान स्वतंत्रता को अपनाकर किसी का हित नहीं कर सकता।इसीलिए स्वतंत्रता पर  मर्यादा और संस्कारों का कुछ अंकुश होना चाहिए।अगर स्वतंत्र रहकर इंसान अपना और अपने आस पास वालो का भला नहीं कर सकता तो वो स्वतंत्रता के नाम पर एक कलंक है।
असली स्वतंत्रता वो है कि जिसमें परहित की भावना भी छिपी हो।जब हमारे देश के महान व्यक्तियों ने देश को गुलामी से मुक्त करवाया तो उनमें देश हित की भावना थी और इसी कारण वो इस लड़ाई मे सफल हुए।किसी भी अच्छे कार्य को अपने बल पर ,अपनी सूझबूझ से करना ही स्वतंत्रता की मर्यादा है न कि किसी गलत कार्य को स्वतंत्रता के नाम पर करके अपने देश और समाज को कलंकित करना।
कई लोग झूठ,धोखा,बेईमानी,कुकर्म,चोरी इत्यादि करके ये समझते है कि,ये सब करके हम स्वतंत्र है,पर असल मे ऐसा करना स्वत्रंत्रता का गलत फायदा उठाना है जिसका परिणाम उन्हें एक दिन भुगतना ही पड़ता है।ऐसे लोग देश के नाम पर धब्बा है।
दूसरी ओर स्वतंत्रता का मतलब ये भी है कि अगर हमारे साथ कुछ भी गलत होता है,अन्याय होता है तो इंसान को उसके खिलाफ लड़ना चाहिए,ये भी स्वतंत्रता का ही रूप है।जो लोग चुपचाप अन्याय को सहन करते है वो कायर होते है।ऐसे कायर उस स्वतंत्रता का अपमान करते है जो हमारे उन महान लोगो ने अपनी जान पर खेल कर वो स्वतंत्रता हमें दिलवाई ताकि हम गलत के विरुद्ध लड़ सके।
हमें अपनी बात को रखने का,कहने का,अन्याय का सामना करने की पूरी स्वतंत्रता है ।।   
        स्वतंत्रता और सत्य का गहरा रिश्ता है।जहाँ सत्य है वहाँ स्वतंत्रता मिल ही जाती है।महात्मा गांधी के पास सत्य के अलावा कोई दूसरा हथियार नहीं था फिर भी इस सत्य की लड़ाई मे वो जीत गए।
    असली मे स्वतंत्र वही है जो सत्य,ईमान,नियम ,पर चलता हो क्योंकि ऐसे व्यक्ति को कोई बाँध नहीं सकता।न कोई लालच न कोई बाहरी दबाव।ऐसा व्यक्ति स्वतंत्रता का कभी गलत उपयोग नहीं करेगा।
इसके विपरीत जो व्यक्ति असत्य,बेईमानी,भ्रष्टाचारी,झूठ,चोरी इत्यादि के साथ स्वतंत्र रहता है,असल मे वो स्वतंत्र है ही नहीं।वो तो इन सब गलत आदतों का गुलाम है,ऐसे व्यक्ति को कोई भी खरीद सकता है।इसलिए ऐसे व्यक्तियों के लिए स्वतंत्रता पर कुछ सीमा मे अंकुश भी है,अगर ये अंकुश न हो तो ऐसे व्यक्ति स्वतंत्रता का फायदा उठाने मे देर नहीं लगाते,अक्सर हम सड़क पर देखते है कि जब भी ट्राफिक पुलिस वाले नहीं होते है,तब सड़क पर चलने वाले  व्यक्ति नियमों का उलंघन कर ही लेते है।ऐसे मे अगर स्वतंत्रता पर पुलिकरूपी अंकुश न हो तो रोज ही दुर्घटना हो जाये।
    इसलिए स्वतंत्रता का असली अर्थ है,अनुशासन मे रहकर आजादी का आनंद ले।गैर अनुशासित व्यक्ति आजाद नहीं हो सकता,वो दुसरो की नजरों मे दिखावटी पुतलों के अलावा कुछ नहीं होता।
    असली आजादी कोई हमसे छीन नहीं सकता,और नकली आजादी ज्यादा दिन तक रह नहीं सकती।
         साधारण रहकर असाधारण कार्य करके महात्मा गांधी ने असली स्वतंत्रता का उदाहरण  पेश किया और इसीलिए वो राष्ट्रपिता बने।
           सत्यमेव जयते
भारत माता की जय

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