पुरुषोत्तम मास 2020 का महत्व

पुरुषोत्तम मास 2020 का महत्व

  हर 3 साल मे एक बार अधिकमास आता है।ये माह सूर्य और चंद्रमा के बीच संतुलन स्थापित करने के लिए आता है।हिन्दू पंचाग के अनुसार 12 महीनों के कोई न कोई देवता निर्धारित है,इसीलिए इन महीनों मे सभी मांगलिक कार्य सम्पन्न हो सकते है,लेकिन अधिक मास का कोई देवता नहीं होता है,इसलिए इसे मलिन मास भी कहा जाता है।कहा जाता है कि मलिन मास की लोग काफी निंदा करने लगे तो ये मास अपने आप को उपेक्षित और घ्रणित महसूस करने लगा।संसार से अपमानित होकर ये मास भगवान विष्णु की शरण मे गया और उनसे प्रार्थना करी की,दूसरे महीनों की तरह मेरा भी कोई स्थान निर्धारित करो।भगवान विष्णु तो दया के सागर है।जो कोई भी श्री हरि की शरण लेता है,,श्री हरि उसे पार लगाते है।भगवान श्री विष्णु ने इस अधिक मास को अपना नाम दिया जिसके कारण समस्त संसार मे इस अधिक मास को पुरुषोत्तम मास के नाम से जाना जाने लगा।भगवान श्री हरि ने इस मास को वरदान दिया कि,जो कोई भी व्यक्ति इस महीने भगवान विष्णु की  आराधना करेगा उसे करोड़ो पुण्यों के बराबर फल प्राप्त होगा।जो कोई भी इस अधिक मास मे दान पुण्य करेगा उसे 100 गुना फल अधिक प्राप्त होगा
।इस प्रकार भगवान से वरदान पाकर अधिक मास धन्य हो गया उसके बाद से आज तक अधिक मास मे लोग ज्यादा से ज्यादा धर्म कार्य और दीन दुखियों की सेवा करते है,भगवान की भक्ति करते है भगवान के अनेक नामो का जाप करते है और ईश्वर को प्रसन्न करते है।क्योंकि इस महीने भगवान के ज्यादा से ज्यादा नाम स्मरण करने से भगवान बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते है ।इस महीने ॐ भगवते वासुदेवायः नमः अथवा श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी का जाप करने से व्यक्ति कई जन्मों के पापों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त कर सकते है।
इस बार 2020 मे ये संयोग बना है ।
         2020 मे 18 सितंबर से 16 अक्टूम्बर तक अधिक मास रहेगा ।
‌विशेष-इस महीने जितना हो सके श्री कृष्ण के नाम का स्मरण करना चाहिए।क्योंकि कल युग मे पुरुषोत्तम मास का महत्व बहुत अधिक है।जो कोई भी इस कल युग के पुरुषोत्तम मास का लाभ उठाकर ज्यादा से ज्यादा ईश्वर के नाम का ध्यान करेगा,दुसरो की निंदा चुगली का त्याग करेगा ,गलत आदतों का परित्याग करेगा,जन कल्याण के कार्य करेगा,भागवत कथा का श्रवण करेगा उसे इसी कलयुग मे श्री कृष्ण के दर्शन की प्राप्ति होगी।
‌जो मलिन मास ईश्वर की शरण मे जाने से पुरुषोत्तम मास बन गया तो हम कलयुग के प्राणी उसी ईश्वर की शरण मे जाने से क्यों नहीं तर सकते।
‌  भगवान श्री कृष्ण ही एकमात्र माध्यम है जो हमें मुक्ति दे सकते है।
‌         हरि शरणम ,हरि शरणम,हरि शरणम

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