कलयुग की महत्ता
ईश्वर ने बहुत ही विधि से सृष्टि की रचना की है।सृष्टि को चार युगों मे बांटा है।सत युग,त्रेता युग ,द्वापर युग और कल युग।
सत युग मे राजा हरिश्चन्द्र जैसे सत्यवादी राजा हुए जिन्होंने अपने सत्य की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया।सत युग अपनी कठोर सत्यता के लिए प्रसिद्ध हुआ।त्रेता युग मे राम जैसे मर्यादापुरुष हुए जिन्होंने अपनी मर्यादा की रक्षा के लिए और कर्तव्य पालन के लिए अपना पूरा जीवन घोर संघर्षों मे बिताया।द्वापर युग मे श्री कृष्ण का जन्म हुआ जिन्होंने कर्म का सिद्धांत समझाया और अपनी अनेक लीलाओं के द्वारा संसार को प्रेम का पाठ पढ़ाया।श्री कृष्ण ने अर्जुन को धर्म और नीति का मार्ग बताया।इन तीनो युगों मे सत्य,धर्म, कर्तव्य,मर्यादा ही युग की मांग थी।सतयुग मे एक करोड़ो वर्षो की तपस्या के बाद तप का फल मिलता था वो भी कई जन्मों के बाद ।त्रेता युग मे लाखो वर्षो की तपस्या के बाद फल मिलता था और द्वापर युग मे हजारों वर्षों की तपस्या के बाद फल मिलता था।
चौथा और अंतिम युग कलयुग आया।कलयुग मे पहले के तीनों युगों की विशेषता का नाश हो जाता है।कलयुग का अर्थ है,सत्य और धर्म का नाश।कलयुग मे सबकुछ उल्टा हो जाता है।
कलयुग मे सत्य बहुत कम रह जाता है।संसार के लोग गलत कार्य करते हुए,झूठ बोलते हुए,किसी को धोखा देते हुए,किसी को मारने पर भी कभी हिचकिचाते नहीं है।कलयुग मे जिसके पास धन और वैभव होता है,वो ही सम्मान पाता है,चाहे फिर वो धन किसीभी गलत तरीके से ही क्यों न कमाया हुआ हो।कलयुग मे सत्य और धर्म पर चलने वालों का मजाक बनाया जाता है।धर्म और नीति की बाते करने वालो को मूर्ख समझा जाता है।हर गलत कार्य कलयुग मे होता है।इसलिए कलयुग को कोई सम्मान की दृष्टि से नहीं देखता।कलयुग को कोई पसंद नहीं करता।हर कोई कलयुग की निंदा ही करता है।कलयुग मे लाखों बुराइयां है,लेकिन ईश्वर ने कलयुग को एक बहुत बड़ी विशेषता दी है जिसके कारण हर ज्ञानी व्यक्ति कल युग मे दुबारा जन्म लेना चाहेगा।कलयुग की एक सबसे बड़ी विशेषता ये है कि जो फल सतयुग ,त्रेता युग और द्वापर युग में नहीं मिलता,वो फल कलयुग मे आसानी से मिल जाता है।कलयुग मे ईश्वर को आसानी से पाया जा सकता है।कलयुग मे केवल हरि नाम का कीर्तन करने से,भगवान की कथाएँ सुनने मात्र से जन्म जन्म के सारे पापों का नाश हो जाता है।अगर किसी प्राणी ने किसी भी जन्म मे कोई भी अपराध किये हो और अगर वो श्री कृष्ण के नाम का सुमिरन करे तो उसके समस्त पाप समाप्त हो जाते है।कलयुग मे भले ही सत्य और धर्म का लोप हो रहा है,सत्य का चाहे संसार निरादर करें, परंतु जो व्यक्ति कलयुग जैसे घोर अंधकार मे भी सत्य और धर्म का साथ न छोड़े, ईश्वर ऐसे व्यक्ति को शीघ्र दर्शन देकर उस
प्राणी को धन्य कर देते है।कलयुग मे ईश्वर के दर्शन पाने के लिए किसी कठिन तप की आवश्यकता नहीं होती।केवल चलते फिरते,उठते बैठते,भी भगवान का नाम जाप कर लिया तो उसका कल्याण हो जाता है।कलयुग मे हरि नाम ही जन जन का कल्याण करेगा।
इतिहास मे ऐसे कई उदाहरण मौजूद है,जिसमे कलयुग के भक्तों का वर्णन है।कलयुग मे कई भक्तों को भगवान ने साक्षात दर्शन दिए है।
हम सब भाग्यशाली है,जिनका जन्म कलयुग मे हुआ है।हर व्यक्ति को इस स्वर्णिम अवसर का लाभ उठाकर ज्यादा से ज्यादा हरि नाम का जाप करना चाहिए और उनकी भजन स्तुति करनी चाहिए।
हरि शरणम ,हरि शरणम,हरि शरणम
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