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Showing posts from September, 2020

भक्ति की महिमा- सेनजी महाराज के जीवन का सच

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       सेन भक्त के जीवन का सच    बहुत समय पहले एक सेन जी महाराज नाम के व्यक्ति थे।सेन जी महाराज एक राजा के दरबार मे नोकरी करते थे।वो जाती के नाई थे,इसलिए राजा के बाल और नाखून काटते थे।उनका उबटन करके उन्हें नहलाने का काम करते थे।सेन जी महाराज श्री कृष्ण के भक्त थे।वो गृहस्थ जीवन मे रहकर भी नित्यप्रति अपने भगवान के भजन और सुमिरन किया करते थे।वो सुबह सूर्य उगने से पहले उठ जाते थे और अपने नित्य कार्य से  निवृत होकर श्री कृष्ण की पूजा आराधना करते थे।उसके बाद ही वो अपनी नोकरी पर निकल जाते थे। एक दिन की बात है,रोज की तरह ही सेन जी महाराज अपनी पूजा भक्ति के कार्य निपटा कर राजा के यहाँ जा रहे थे कि रास्ते मे एक साधु संतों की भजन मंडली मिल गई जो बहुत ही अच्छे भजन गा रहे थे।सेन जी महाराज उन भजनों को सुनकर अपने आप को रोक नहीं पाए और खुद भी उस मंडली मे शामिल होकर भजन गाने लगे।वो भजनों मे इतने मग्न हो गए कि,उन्हें ये भी याद नहीं रहा कि राजा के यहाँ  काम करने जाना है। अपने भक्त को इतना भक्ति मे डूबते हुए देखकर श्री कृष्ण स्वयं सेन जी महा...

पुरुषोत्तम मास 2020 का महत्व

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पुरुषोत्तम मास 2020 का महत्व   हर 3 साल मे एक बार अधिकमास आता है।ये माह सूर्य और चंद्रमा के बीच संतुलन स्थापित करने के लिए आता है।हिन्दू पंचाग के अनुसार 12 महीनों के कोई न कोई देवता निर्धारित है,इसीलिए इन महीनों मे सभी मांगलिक कार्य सम्पन्न हो सकते है,लेकिन अधिक मास का कोई देवता नहीं होता है,इसलिए इसे मलिन मास भी कहा जाता है।कहा जाता है कि मलिन मास की लोग काफी निंदा करने लगे तो ये मास अपने आप को उपेक्षित और घ्रणित महसूस करने लगा।संसार से अपमानित होकर ये मास भगवान विष्णु की शरण मे गया और उनसे प्रार्थना करी की,दूसरे महीनों की तरह मेरा भी कोई स्थान निर्धारित करो।भगवान विष्णु तो दया के सागर है।जो कोई भी श्री हरि की शरण लेता है,,श्री हरि उसे पार लगाते है।भगवान श्री विष्णु ने इस अधिक मास को अपना नाम दिया जिसके कारण समस्त संसार मे इस अधिक मास को पुरुषोत्तम मास के नाम से जाना जाने लगा।भगवान श्री हरि ने इस मास को वरदान दिया कि,जो कोई भी व्यक्ति इस महीने भगवान विष्णु की  आराधना करेगा उसे करोड़ो पुण्यों के बराबर फल प्राप्त होगा।जो कोई भी इस अधिक मास मे दान पुण्य करेगा उसे 1...

एक सत्य कहानी-बापकर्मी या आपकर्मी

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बाप कर्मी या आप कर्मी?    बहुत वर्षो पहले बीसलदेव नाम के एक राजा थे।उनकी 7 बेटियां थी।राजा ने अपनी 6 बेटियों की शादियां कर दी थी और 6 बेटियों के दामाद को घर जमाई बनाकर अपने ही महल मे रहने के लिए स्थान दे दिया था।राजा के पास अपार धन और वैभव था। उनकी कीर्ति चारों तरफ फैली हुई थी।धीरे धीरे राजा को अभिमान आ गया था।राजा को लगने लगा कि इस राज्य मे सभी लोग उसी के भाग्य का खाते है।एक दिन राजा ने अपने सभी मंत्रियों और दास दासियों को बुलाकर पूछा कि,तुम सब लोग किसके भाग्य का खाते होसभी ने उत्तर दिया कि,है राजन!हम तो आपका दिया हुआ ही खाते है,इसलिए हमारा भाग्य ही आपसे जुड़ा है।इस तरह राजा ने अपनी रानियों से भी यही प्रश्न किया।रानियों ने भी यही कहा कि,हम तो राजा के भाग्य का ही खाते है।फिर राजा ने अपनी 6 बेटियों और दामाद को भी बुलाकर यही पूछा तो सभी ने यही कहा कि,हम सब राजा के भाग्य का ही खाते है।अंत मे राजा ने अपनी सबसे छोटी बेटी जो कुँवारी थी,जिसका नाम पदमा था,उससे पूछा कि ,बताओ बेटी तुम बाप कर्मी हो या आप कर्मी। पदमा सत्यवादी थी और बहुत ही धर्म कर्म के मर्म को जानने वाली थी।उसन...

श्राद्ध की महत्ता

श्राद्ध क्या है?श्राद्ध का महत्व     श्राद्ध का अर्थ उसके शब्द मे ही निहित है यानी श्रद्धा।अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा से जो कुछ भी अर्पित किया जाता है उसे ही श्राद्ध कहा जाता है।हिन्दू धर्म मे श्राद्ध का विशेष महत्व है।ऐसी मान्यता है कि श्राद्ध पक्ष के 15 दिन तक हमारे स्वर्गवासी पूर्वज धरती पर विचरण करते है और अपने परिवार की श्रद्धांजलि को स्वीकार करते है। जब भी कोई व्यक्ति इस संसार से जाता है तो वो बहुत मुश्किल से अपने परिवार को त्याग पाता है।उसके अंतिम क्षणों मे सबसे ज्यादा जो दुःख उसको होता है वो परिवार का बिछोह ही होता है।इस संसार को छोड़ कर जाने वाले कई व्यक्तियों की तो सारी इच्छाएं पूरी हो जाती है उसके बाद ही वो संसार को छोड़ कर जाते है,पर कुछ व्यक्ति ऐसे होते है,जिनके सपने अधूरे ही रह जाते है और वो संसार को छोड़ कर चले जाते है।ऐसे व्यक्ति की आत्मा संतुष्ट नहीं हो पाती।जब उसका परिवार मिलकर श्राद्ध करता है और परिवार के सब सदस्य मिलकर भोजन करते है तो उन पूर्वजो की आत्मा को अत्यंत सुख मिलता है।जो भी पूर्वज जिस तिथि को शरीर त्यागते है,उसी तिथि को वो धरती पर अदृश्य रूप मे आत...