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Showing posts from April, 2020

29 दिसम्बर 2019 -शिफ्ट हुए नए फ्लैट मे

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आज सुबह जल्दी उठकर सारी पैकिंग करी,क्योंकि आज घर जो खाली करना था। वैसे तो 25 तारीख से ही मैंने थोड़ी थोड़ी पैकिंग चालू कर दी थी फिर भी काफी कुछ पैक करना बाकी रह गया था जो आज ही हुआ।अंततः 2 बजे तक सारी पैकिंग हो गई और 4 बजे का टाइम लोडिंग ऑटो वाले को दिया था।करीबन 2 बजे के आस पास अचानक मेरे सभी भाई बहन और उनके बच्चे शिल्पग्राम का मेला देखकर मेरे घर ही आ गए। उन सभी ने मेरा सामान शिफ्ट कराने मे मेरी मदद करी।मेरे सभी भांजे और भतीजो ने मिलकर सारा सामान नए घर मे शिफ्ट किया।जब सामान की पैकिंग हो रही थी,तब मन मे बड़ा डर लग रहा था कि कैसे इतना सामान तीसरी मंजिल पर चढ़ पायेगा,क्योंकि वहाँ लिफ्ट की सुविधा नही थी,लेकिन ईश्वर की लीला अपरम्पार है।सब बच्चो ने इस तरह पूरे जोश और खुशी के साथ मेरा सामान पहुंचा दिया, उन बच्चो को देखकर ऐसा लग रहा था मानो उन सब बच्चो के अंदर साक्षात भगवान आ गए हो। शाम को 8 बजे तक सारा सामान पहुंच गया था, केवल भगवान की कुछ तस्वीरें रह गई थी,जिसे सबसे अंत मे हम सब जने साथ मे लेकर मेरे भाई की गाड़ी मे लेकर गए थे, ...

मेरी डायरी के कुछ पन्ने 1अक्टूम्बर 2019 - देवी मां से करी पहली बार व्हाट्सअप पर बात

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आज 1 अकटुम्बर है,नवरात्रि का तीसरा दिन है।नवरात्रि मुझे बहुत अच्छी लगती है।बचपन से मै व्रत करती हूं।आज भी मेरा व्रत है।सुबह जल्दी पूजा करके फिर कुछ सेगारी खाकर रोज की तरह मैं अपने ब्यूटी पार्लर के काम से गई।दिन को थोड़ा ब्रेक मिला तो मै वापस घर आई।दोपहर के 2 बज रहे थे,मैं अपना सिर सोफे पर टिका कर लेटी ही थी अचानक मेरे एक मासी के बेटे का फोन आया।वो आशापुरा माता जी  के मंदिर मे हर नवरात्रि,9 दिन तक पूजा करता है। उस समय भी उसने मुझे मंदिर से ही फ़ोन किया और हाल चाल पूछा।मैंने अपनी कुशलता बताई और उसकी भी कुशलक्षेम पूछी।उसके बाद अचानक मेरे मुँह  से यकायक ही निकला कि तू ,माता जी से मेरे लिए एक फूल आशीर्वाद स्वरूप मांगना।ये कहकर मैंने फ़ोन रखा। उसने देवी मां को मेरा व्हाट्सअप  मेसेज दिखाया कि तुरंत देवी माँ की मूर्ति से गुलाब का फूल गिर जाता है।उसने तुरंत उसी समय मुझे मैसेज किया और उस फूल का फोटो भेजा ।मुझे समझ मे नही आया कि ये क्या फ़ोटो है।मैंने तुरंत अपने मासी के बेटे को व्हाट्सअप पर पूछा कि ये क्या भेजा है।उसने मुझे बताया कि माता जी ने सीधे हाथ स...

मेरी बहन इंद्रा

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ये मेरी बहन इंद्रा है,इसके जन्म की एक inresting  घटना को मैंने लिखा है,इसके बारे मे पढ़ने के लिए यहाँ  क्लिक कीजिए

मेरी प्रिय सहेली कैलाश दीदी

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कैलाश दीदी से 20 साल से मेरा रिश्ता है,इनके बारे मे जानने के लिए यहाँ क्लिक कीजिए

ओशी

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ओशी,वैसे तो एक कुत्ता था लेकिन वो किसी इंसान से कम नहीं था।ओशी मेरे कैलाश दीदी का पालतू कुत्ता था।वैसे तो मुझे कुत्तों से बहुत डर लगता था।मैंने आज तक किसी कुत्ते को हाथ से सहलाया नहीं क्योंकि मैं बहुत डरती हु।लेकिन जब पहली बार मैं ओशी से मिली तो मुझे पहले तो बहुत डर लगा लेकिन दीदी ने हिम्मत करके उससे मेरी दोस्ती करवाई।एक बार उससे दोस्ती हो गई तो वो मुझे इतना अच्छा लगा कि मैं सोचने लग गई कि क्या एक कुत्ता भी इतना समझदार हो सकता है। वो इतना समझदार था कि केवल इंसान के चेहरे के हाव भाव से इंसान का मन पढ़ लेता था।उसके हर काम का एक   निश्चित समय होता था फिर चाहे वो खाने का हो,नहाने का हो या पोटी जाने का हो।जब भी मेरे दीदी के husband जिन्हें मैं अंकल जी बुलाती हु,वो हाथ मे शेम्पू लेकर ओशी को बताते थे वो नहाने की जगह पर जाकर खड़ा हो जाता था।जब उसके नाखून काटते थे तब बिना भोंके चुपचाप अपने पैर सामने कर देता था।जब भी घर मे कोई टेंशन होती तो वो खाना नही खाता था। जब भी घर के सब सदस्य कहीं बाहर  निकलते और उसको पता चल जाता कि उसे अकेला छोड़ कर सब जा रहे है तो वो न...

विशाल और अंकिता ---कुणाल और आरती

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विशाल और कुणाल,ये दोनों मेरे धर्म के भाई है। मेरे कैलाश दीदी के बेटे,जिन्हें 19 साल से मैं राखी बांध रही हूँ और ये भी सगे भाई की तरह मेरा ध्यान रखते है।एक बहन को जब कोई भी तकलीफ होती है और भाई को जो दर्द महसूस होता है,वो दर्द इन दोनों भाइयों की आंखों मे मैंने महसूस किया,ये एक सच्चे रिश्ते का सबूत है,एक सच्चे प्रेम का सबूत है।जब मुझे स्कूटी चलानी नहीं आती थी और मैं बहुत डरती थी तब मेरे भाई विशाल ने मुझे गाड़ी सिखाने का संकल्प लिया और उसने दिल से पूरा किया।मैं इतना डरती थी कि कोई भी मुझे स्कूटी नहीं सीखा सकता था,लेकिन विशाल ने मुझे हिम्मत दी,मेरे अंदर के हौसले को जगाया और मुझे विश्वास दिलाया कि कोई भी काम असंभव नहीं होता। उसके विश्वास ने ऐसा चमत्कार दिखाया कि मात्र 9 दिन मै उसने मुझे ट्राफिक मे गाड़ी ले जाना सीखा दिया। पहली बार जब मैंने खुद गाड़ी चलाई तो मै विशाल को पीछे बैठाकर अम्बा माँ के दर्शन के लिए गई।जब मैं वापस घर आई तो भगवान के सामने इतना रोई और भगवान को धन्यवाद दिया कि इतना बड़ा चमत्कार करके आपने मुझ पर बहुत उपकार किया है।मुझे ऐसा लगा मानो ईश्वर ने विशाल को ...

भगवती

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ये मेरी मौसी की लड़की है,जो बचपन से मेरे साथ गर्मी की छुट्टियों मे नाना नानी के यहाँ रहने आती थी।इससे मैं बचपन से ही बहुत प्रेम करती हूं। एक बार गर्मी की छुट्टियों मे भगवती  किसी कारणवश नाना नानी के यहाँ रहने नहीं आई तो मेरा मन बहुत दुःखी हुआ।मैं रोज ननिहाल मे पिपलाज माता जी के मंदिर मे जाकर रोती और प्रार्थना करती कि मेरी भगवती को मेरे पास भेज दो।उस समय कोई फ़ोन के साधन नहीं थे कि उससे सूचना दे दी जाए।इसलिए एक दूसरे के साथ समाचार भेज देते थे।मेरे नानी जी ने मुझे दुःखी देखकर कई लोगो के साथ भगवती के गावँ समाचार भेजे पर उसके दादाजी ने उसे ननिहाल जाने के लिए मना कर दिया।मैं रोज उसकी याद मे रोती ।एक दिन की बात है।मैं नानी के साथ खेत पर जा रही थी कि रास्ते मे उसी गावँ की कोई औरत जो मेरी मौसी के गावँ मोड़ी जा रही थी।जैसे ही उसने नानी को कहा कि कोई समाचार कहना हो तो बताओ,मैं मोड़ी जा रही हु और मैने अपनी नानी से उस औरत के साथ जाने के लिए ज़िद पकड़ ली।नानी ने बहुत समझाया कि वो गावँ बहुत दूर है और ये पैदल जा रही है।  कोई बस भी नहीं है,इसलिये हम वहाँ नहीं जा सकते,पर फिर भी मैं नहीं...

नाती मासी

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नाती मासी ये मेरी छोटी मासी है।ये बचपन से मुझे बहुत प्यार करती है।जब मैं छोटी थी,तब इनकी शादी भी नही हुई थी।मैं गर्मी की छुट्टियों मे ननिहाल जाती तो नाती मासी ही मुझे नहलाती,खाना खिलाती,मुझे गोदी मे लेकर घूमती  थीं। मैं इनके बिल्कुल चुपककर ही रहती। जहाँ जाती,साथ साथ  जाती,रात को भी मासी से लिपटकर ही सोती थी।यहाँ तक की ,रात को अगर मासी करवट भी ले लेती तो मैं जग जाती और उनको अपनी तरफ मुँह करके ही सोने की ज़िद करती।कई बार तो मेरी मासी परेशान हो जाती,क्योंकि वो कुँए पर पानी लेने जाती,तो भी मैं उनके साथ साथ जाती।एक बार गायो को चराने के लिए मेरी मासी के साथ मैं भी पहाड़ी पर गई।पहाड़ी इतनी ऊँची थी कि मुझसे चला ही नही जा रहा था,मेरी मासी ने मुझे अपने कंधे पर बैठाया और पहाड़ी पर चढ़ी। मासी से इतना प्यार था कि जब वापस मासी से बिछड़ कर घर आती तो बहुत मुश्किल होता था।थोड़े समय बाद,जब मासी की शादी हुई तो मुझे ये बिल्कुल सहन नहीं हो रहा था कि मेरी मासी,किसी दुसरो के घर कैसे जा सकती है।उनकी विदाई पर मैंने उनकी साड़ी पकड़ ली कि आपको नहीं जाने दूँगी,और बहुत रोई ।थक हार कर घर वालो ने मुझे अ...

सोना मासी

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सोना देवी       ये हीरा देवी की बड़ी बहन यानी मेरी बड़ी मासी है।दोनो बहनों का जैसा नाम है,वैसी ही इनकी जोड़ी है। जिस तरह सोना और हीरा का साथ है उसी तरह इनका साथ है।ये बहने कम, और सहेली ज्यादा है।जहाँ जाती दोनो साथ जाती,और अपने माता पिता के लिए इन दोनों बहनों ने जो किया,वो शायद बेटे भी नही कर पाते।दोनों मे इतना प्रेम कि एक डांटती है तो दूसरी चुप हो जाती है।आज तक ये दोनों कभी एक दूसरे से नाराज नहीं हुई। मेरी सोना मासी का मेरे जीवन मे बहुत महत्व रहा है।ये पिपलाज माता की भक्त है और माता जी की बहुत सेवा करती है, इसलिए इनकी वाणी मे एक शक्ति सी महसूस होती है। ये जिस किसी को दिल से आशीर्वाद देती है,कभी विफल नहीं जाता।मेरे जीवन मे इनके आशीर्वाद ने अब तक बहुत चमत्कार किये,बल्कि कई बार मैंने इनको देवी मां के रूप मे देखा है।जब मुझे स्कूटी चलानी नही आती थी,तब तीन बार मेरे सपने मे ये मुझे स्कूटी चलाना सिखाती है और वो सपना मेरा उसी साल पूरा हुआ। इनके आशीर्वाद का मेरे जीवन पर बहुत फर्क पड़ा,हालांकि मेरे कठोर उसूल और सच्चाई का रास्ता कई बार इनको ...

प्रकाश

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प्रकाश मेरा छोटा भाई है,ये मुझसे दो साल ही छोटा है,इसलिए बचपन से ही हम एक दूसरे के बहुत साथ रहे।एक ही कक्षा मे पढ़े, इसलिए कक्षा की,स्कूल की हर बात एक दूसरे से शेयर करते थे।लड़ते भी बहुत थे,पर एक दूसरे से बोले बिना नहीं रहते थे।जब हम स्कूल जाते थे तो घर से ही अपने भाई प्रकाश का हाथ पकड़कर  स्कूल तक जाती थी, यहाँ तक कि कक्षा मे भी उसका हाथ नहीं छोड़ती थी।कई बार टीचर  मजबूरन हमे एक दूसरे से दूर बिठाती थी,लेकिन हम फिर दूसरे दिन साथ मे बैठ जाते थे।हम दोनों भाई बहनों  की स्कूल मे भी एक पहचान बन गई थी।क्योंकि स्कूल के हर एक्टिविटी मे हम दोनों भाग लेते थे।वाद विवाद प्रतियोगिता मे हम दोनों भाई बहन एक दूसरे के विपक्ष मे खड़े होते थे।कभी वो जीत जाता तो कभी मैं जीत जाती । हम दोनों भाई बहनों मे जहाँ एक दूसरे से इतना गहरा प्यार है,वहीं दूसरी ओर हमारी विचारधारा एक दूसरे से बिल्कुल विपरीत है।और इसी विपरीत विचारधारा के कारण हम  असल जीवन मे भी वाद विवाद  करते रहते है।और स्कूल की वाद विवाद प्रतियोगिता की तरह ही आज भी कभी उसकी बात जीत जाती है तो कभी मेरी।विपरीत...

मुख्य भूमिका-हीरा बाई

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हीरा बाई मेरी प्रथम गुरु मेरी माँ का नाम है।माँ की एक बच्चे के जीवन मे जितनी भूमिका होती है,उसे शब्दो मे व्यक्त करना मुश्किल है।जब से मैं इस दुनिया मे बोलना सीखी और समझने लगी तभी माँ ने मुझे भक्ति की राह दिखा दी। मेरी माँ को भगवान के भजन गाना,उन पर अटूट विश्वास करना,उन्हें महसूस करना,सब बहुत अच्छे से आता है।वो जहाँ भी सत्संग मे जाती,मुझे साथ लेकर जाती,इसलिए मुझे भगवान का सानिध्य बचपन से ही मिल गया ।मेरी माँ बहुत मेहनती है,वो कभी खाली नही बैठती,अपने समय का भरपूर  उपयोग करती है। उन्ही से मैंने  मेहनत की प्रेरणा ली।जब हम  भाई बहन छोटे थे,तब मम्मी लोगो के घर पानी भरते थे, घर का काम करने जाते थे।जहाँ हम रहते थे,वहाँ सबसे गरीब घर हमारा ही था।पर मम्मी की महानता थी कि कभी दुसरो को देखकर अपने मन पर ये शिकन न आने दिया कि हम दूसरों के मुकाबले छोटे है।वो सब का काम ईमानदारी से और खुश होकर करते थे।लोग उन पर बहुत भरोसा करते है।इसलिए ईमानदारी से काम करके कैसे लोगो के दिलो को जीतना है,ये शिक्षा भी मैंने उन्ही से ली।मम्मी का स्वभाव और ईमानदार...