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Showing posts from July, 2020

हनुमान जी के जीवन से जुड़ी कुछ रहस्यमय बातें

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हनुमान जी के जीवन से जुड़ी कुछ रहस्यमय बातें हनुमान जी वानरराज केसरी के पुत्र है।इनकी माता का नाम अंजना है जो पिछले जन्म मे एक अप्सरा थी।अंजना को बहुत समय तक कोई संतान नहीं हुई थी तो उन्होंने अन्न जल त्यागकर केवल वायु का ही भक्षण किया और शिवजी की घोर तपस्या की।शिवजी प्रसन्न हुए और उन्होंने वायु रूप मे जाकर अपने एक अंश को यज्ञ हवन मे प्रविष्ट किया ,इसी अंश से हनुमान जी का जन्म हुआ। इसी कारण हनुमान जी को पवन पुत्र भी कहा जाता है।हनुमान जी शिवजी के 11वें रौद्र अवतार थे।शिवजी ने एक बार भगवान विष्णु से एक वरदान मांगा था कि ,उन्हें भगवान विष्णु की सेवा का अवसर मिले।भगवान विष्णु ने शिव जी को वरदान दिया और कहा कि जब मैं पृथ्वी पर राम अवतार के रूप मे जन्म लूंगा तब आपको मेरी सेवा का अवसर प्रदान करूंगा और यही कारण था कि शिवजी ने अपने 11वें रौद्र रूप मे हनुमान जी के अवतार रूप  मे जन्म लिया।    एक बार अयोध्या के राजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति की कामना के लिए एक यज्ञ करवाया ।यज्ञ की समाप्ति के बाद गुरुदेव ने राजा दशरथ को खीर का प्रसाद दिया और कहा कि ये तीनो रानियों ...

आज सोमवती अमावस्या है और जानिए उसका महत्व

आज सावन का तीसरा सोमवार है और साथ ही सोमवती अमावस्या के साथ हरियाली अमावस्या का विशेष संयोग बना है।सोमवती अमावस्या के दिन नदी पर स्नान करने का  विशेष  महत्व है।आज के दिन लोग नदी और कुंड मे स्नान करते है,और शिव जी को दूध और जल के साथ बिलपत्र चढ़ाते है।आज के दिन पीपल के पेड़ की भी पूजा की जाती है,क्योंकि पीपल के पेड़ पर ब्रह्म विष्णु और महेश का वास होता है।पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाने से शनिदोष का भी निवारण होता है।सोमवती अमावस्या के दिन माता लक्ष्मी की भी आराधना करने से घर की दरिद्रता का नाश होता है।आज के दिन अपने अपने पितरों को भी याद किया जाता है और उनकी पूजा की जाती है जिससे पितरों का आश्रीवाद भी बना रहता है।सोमवती अमावस्या के दिन बहुत से लोग दान पुण्य भी करते है।गरीबो को खाना खिलाया जाता है,गायों को चारा और पक्षियों को दाना डाला जाता है। हरियाली अमावस्या को प्रकति के संरक्षण के लिए जनता को जागरूक बनाने के लिए पूरे उत्तर भारत मे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।कई जगहों पर मेलो का आयोजन भी होता है।इस दिन कई लोग अपने अपने घरों पर और सार्वजनिक स्थानों पर पेड़ लगाते है।इस दिन लोग प्रकति ...

सावन मास का महत्व और जानिए भगवान शिव के बारे मे कुछ विशेष बातें

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सावन मास का महत्व और जानिए भगवान शिव के बारे मे कुछ विशेष बातें     हिन्दू धर्म मे  सावन मास का विशेष महत्व बताया है।सावन महीने मे विशेष रूप से शिवजी की आराधना की जाती है,इसलिए शिव भक्तों के लिए ये महीना बहुत ही खास माना गया है। कहा जाता है कि सावन मास मे ही समुन्द्र मंथन हुआ था।जब समुन्द्र मंथन मे सबसे पहले विष प्रकट हुआ तो देवताओं मे हाहाकर मच गया क्योंकि उस विष को झेलने वाला कोई नहीं था,तब सभी देवी देवता शिव जी के पास गए और उनसे प्रार्थना करी।शिव जी ने देवताओं की सहायता करी और उस विष को उन्होंने अपने कंठ मे धारण कर लिया,जिसके कारण शिव जी का गला नीला हो गया ।उसी दिन से शिवजी को नीलकंठ के नाम  से भी जाना जाता है।जब शिवजी का गला नीला हो गया और वो उस विष से जलने लगा तो सभी देवताओं ने शिवजी के ऊपर जल और दूध चढ़ाया जिससे उन पर विष की पीड़ा कम हो गई।तभी से आज तक शिवजी के ऊपर दूध और जल चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है।इसीलिए सावन महीने मे शिवजी के ऊपर जल और दूध का अभिषेक करने से शिवजी प्रसन्न हो जाते है। शिव जी बहुत ही भोले और सरल देव है,जो शीघ्र प्रसन्न हो जाते है ...

शनिदेव से जुड़ी कुछ प्रमुख बातें

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शनिदेव से जुड़ी कुछ प्रमुख बातें      शनिदेव बचपन से श्री कृष्ण के भक्त थे,और नौं ग्रहों मे बहुत शक्तिशाली देवता माने गए है,लेकिन दुर्भाग्यवश उनको अशुभग्रह बना दिया।इसके पीछे एक कारण था। शनिदेव का विवाह चित्ररथ की कन्या से  हुआ था जो बहुत ही संस्कारी और गुणवान थी।विवाह के बाद भी शनिदेव का मन गृहस्थी मे न होकर केवल अपने आराध्य कृष्ण मे ही लगा रहता था।एक दिन शनिदेव की पत्नी पुत्रप्राप्ति की इच्छा से शनिदेव के निकट गई,लेकिन शनिदेव अपनी तपस्या मे लीन थे।शनिदेव की पत्नी ने अपने पति का ध्यान अपनी ओर करने का बहुत प्रयास किया,परंतु शनिदेव श्री हरि के ध्यान मे इतने डूब चुके थे कि उनको अपनी पत्नी की उपस्थिति का आभास ही नहीं हुआ।इस कारण शनिदेव की पत्नी को क्रोध आ गया और क्रोध मे आकर उन्होंने शनिदेव को श्राप दे दिया कि,आज के बाद जिस पर भी आप अपनी दृष्टि डालोगे ,उसका जीवन कष्टदायी हो जाएगा ।अपनी पत्नी के द्वारा श्राप मिलने के बाद शनिदेव को अपनी गलती का पछतावा हुआ और उन्होंने अपनी पत्नी से क्षमा मांगी।उनकी पत्नी ने कहा कि,है नाथ!मैं अपना श्राप तो वापस नहीं ले सकती,लेकि...

जानिए ,कैसे हनुमान जी पर भी शनि की वक्र दृष्टि का प्रभाव पड़ा

वैसे तो जब जब  इंसान पर शनि की ढैया या साढ़े साती का प्रभाव होता है,तब तब उसको हनुमान जी की आराधना करने का उपाय बताया जाता है,क्योंकि ये माना गया है कि हनुमान जी की भक्ति करने वालो पर शनिदेव ज्यादा  कष्ट  नहीं पहुंचाते,लेकिन फिर भी  स्वयं हनुमान जी को भी कुछ समय के लिए शनि  के द्वारा कष्ट मिला। एक बार की बात है,हनुमान जी और शनिदेव दोनो भ्रमण के लिए निकले,तब रास्ते मे उनकी कुछ बातचीत हुई,जिसमे संसार के पाप पुण्य की कुछ बाते चली।शनिदेव ने हनुमान जी से कहा कि,मैं इस संसार के पाप और पुण्यों का हिसाब रखता हूं,इसलिए उसका फल मैं ही देता हूं।इस पर हनुमान जी ने कहा कि,मैंने तो इस संसार मे अपने प्रभु श्री राम की सेवा के अलावा कभी कोई कार्य किया ही नहीं है,इसलिए मुझसे तो जीवन मे कभी कोई अपराध नहीं हुआ है,इसलिए आप मुझे तो कभी कोई दंड नहीं दे सकते।लेकिन शनिदेव ने कहा कि,नहीं हनुमान जी,इस संसार मे कोई ऐसा नहीं है,जिससे कभी कोई अपराध नहीं हुआ हो।आपने भी एक अपराध किया है।हनुमान जी ने शनिदेव से पूछा कि,कृपया करके आप मुझे बताइए कि मुझसे ऐसा क्या अपराध हुआ है।तब शनिदेव ने कहा कि,जब...

जानिए क्यों चढ़ाया जाता है शनिदेव को तेल

जानिए क्यों चढ़ाया जाता है शनिदेव को तेल     एक बार शनिदेव ने भगवान शिव की घोर तपस्या की थी ,तब भगवान शिव अति प्रसन्न हुए और उन्होंने शनिदेव को सम्पूर्ण ब्रह्मांड का न्यायधीश बना दिया।तब से  वो संसार का न्याय करने लगे।लेकिन न्याय करते करते एक बार उनको अपनी शक्ति का अभिमान हो गया था।जब उन्होंने हनुमान जी की शक्ति की चर्चा सुनी तो उनको हनुमान जी से युद्ध करने की इच्छा हुई। एक बार हनुमान जी अपने श्री राम के किसी कार्य मे व्यस्त थे,तब शनिदेव ने वहाँ जाकर हनुमान जी के कार्य मे विध्न डाला।इस पर हनुमान जी ने बहुत शांति से शनिदेव को समझाया कि,मैं अपने प्रभु श्री राम का महत्वपूर्ण कार्य कर रहा हु।कृपया करके  ये बताने का कष्ट करें कि आप कौन हो और मुझे क्यों परेशान कर  रहे हो। इस पर शनिदेव अभिमान से बोले कि मैं कर्म फलदाता हु,और इंसान के जीवन मे विध्न डालने का मेरा काम है। हनुमान जी ने बार बार शनिदेव को समझाया,लेकिन शनिदेव नहीं माने और हनुमान जी को युद्ध के लिए ललकारा।हनुमान जी ने शनिदेव को अपनी पूंछ मे लपेटकर चारो तरफ घुमाया और बहुत देर तक युद्ध लड़ा जिससे  शनिदेव के प...

शनिदेव जी से जुड़ी दो रोचक कथाएँ

शनिदेव और भगवान शिव की एक रोचक कहानी      शनिदेव के बारे मे कौन नहीं जानता।शनिदेव सम्पूर्ण ब्रह्मांड के न्यायधीश है।उनका न्याय सबके लिए निष्पक्ष होता है,इसलिए वो अपनी दृष्टि से किसी को नहीं बचा पाए।शनिदेव का प्रभाव उनके पिता से लेकर उनके सभी अपनों के साथ भी पड़ा। एक बार शनिदेव जी कैलाश पर्वत पर गए और भगवान शिव से बोले कि,कल मैं आपके ऊपर अपना प्रभाव डालने वाला हु।भगवान शंकर ने शनिदेव से कहा कि,तुम मेरे शिष्य हो,इसलिए मुझ पर ज्यादा देर का प्रभाव मत डालना।शानिदेवजी ने कहा कि,आपके ऊपर मैं केवल सवा घड़ी के लिए अपना प्रभाव डालूंगा।भगवान शंकर खुश हो गए कि,सवा घड़ी तो मैं इधर उधर छुपकर निकाल लूंगा।अगले दिन शनिदेव की दृष्टि से बचने के लिए भगवान शंकर ने अपने आप को हाथी बना दिया और मृत्यु लोक मे विचरण करने निकल गए।जब सवा घंटे का समय निकल गया तो शंकर भगवान अपने असली रूप मे वापस कैलाश पर्वत पर आ गए और शनि से मिलने गए।भगवान शंकर खुश होकर शनि देव से बोले कि,देख लो शनि,हम तुम्हारी दृष्टि से बच गए ।शनिदेव ने शिव जी से कहा कि,नहीं आप हमारी दृष्टि से नहीं बच पाए।मेरे ही कारण आपको सवा घंटे के ल...

विश्वास की ताकत- सच्ची श्रद्धा

विश्वास की ताकत-सच्ची श्रद्धा     एक बार की बात है,एक जंगल मे कछुवे का एक कपल जोड़ा रहता था।नर कछुवे की पत्नी रोज ईश्वर का स्मरण किया करती थी।वो रोज राम का नाम लेती रहती थी और उसे ईश्वर पर बहुत भरोसा था। एक दिन की बात है,एक शिकारी जंगल मे आया और उस कपल को अपने जाल मे फंसा दिया।शिकारी उस कछुवे के जोड़े को अपने कपड़े मे बांधकर घने जंगल मे ले गया।वहाँ ले जाकर कछुवे के ऊपर की खाल निकाल दी और उन्हें मारने की पूरी तैयारी कर दी थी।उस शिकारी ने कछुवे को पकाने के लिए जंगल मे ही एक पत्थर का चूल्हा बनाया और लकड़ियां इकठ्ठी करके आग जलाने की तैयारी भी कर ली थी।तभी कपड़े मे बंधा कछुवा का जोड़ा आपस मे बातचीत करने लगा।नर कछुवे ने मादा कछुवे से कहा कि,जिस राम का तू रोज नाम लिया करती थी,आज तेरे राम कहाँ गए।मैं कहता हूं कि कोई भगवान नहीं है,अगर तेरे भगवान सच्चे होते तो आज हमको मारने के लिए यहाँ नहीं लाया जाता।नर कछुवे की बात सुनकर मादा कछुवे ने कहा कि,है मेरे प्राणनाथ!तुम अपने मन पर थोड़ा धीरज रखो और ईश्वर पर भरोसा करो।मेरे भगवान अवश्य आएंगे।ऐसे अंतिम समय मे भी मादा कछुवे का विश्वास नहीं टूटा और वो तब ...

राजा दुष्यन्त और शकुन्तला की प्रेम कहानी

राजा दुष्यन्त और शकुंतला की प्रेम कहानी   एक समय हस्तिनापुर मे राजा दुष्यन्त राज किया करते थे।एक बार राजा दुष्यन्त शिकार खेलते हुए जंगल मे गए।उसी जंगल मे कण्व ऋषि का आश्रम था।शिकार से लौटते हुए राजा ने सोचा कि ,मैं कण्व ऋषि के दर्शन कर लूं।राजा ने कण्व ऋषि के आश्रम के पास जाकर आवाज लगाई तो आश्रम से एक सुंदर कन्या बाहर आई।राजा दुष्यन्त ने उस कन्या से पूछा कि,क्या मैं कण्व ऋषि के दर्शन कर सकता हु?इस पर उस कन्या ने अपनी मधुर वाणी से राजा को कहा कि,अभी तो मुनिवर कहीं बाहर गए हुए है।कुछ समय पश्चात लौटेंगे।राजा दुष्यन्त शकुंतला के रूप और वाणी से अत्यंत प्रसन्न हो गए।अब तो राजा वहीं जंगल मे डेरा डालकर रहने लगे और प्रतिदिन शकुंतला को देखते रहते।राजा दुष्यन्त को शकुंतला से प्रेम हो गया और शकुंतला भी राजा से प्रेम करने लगी।एक दिन राजा दुष्यन्त ने शकुंतला के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा।शकुंतला ने उनका प्रस्ताव स्वीकार कर लिया।विवाह से पहले शकुंतला ने अपना पूरा परिचय राजा दुष्यन्त को बताया। एक बार विश्वामित्र घोर तपस्या कर रहे थे।उनकी तपस्या को भंग करने के लिए इंद्र ने अप्सरा मेनका को पृथ्वी प...

गुरु पूर्णिमा 2020- गुरु का महत्व

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गुरु पूर्णिमा 2020     हर वर्ष आषाढ़ की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है।इस बार गुरु पूर्णिमा 5 जुलाई को मनाई जा रही है।      गुरु पूर्णिमा को महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था।महर्षि वेदव्यास ने ही महाभारत की रचना की और वो ही चारों वेदों के ज्ञाता थे।उन्होंने वेदों की रचना की जिसके माध्यम से संसार को वेदों का ज्ञान मिला,इसलिए वो संसार के गुरु कहलाये।उनके जन्म दिन से ही आषाढ़ की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का नाम दिया गया।इसी दिन हर व्यक्ति अपने अपने गुरु को स्मरण करता है और उनसे आशीष प्राप्त करता है।       हर व्यक्ति के जीवन मे गुरु का बहुत योगदान होता है।गुरु वो होता है जो हमे मार्ग दिखलाए।गुरु वो है जो हमारे जीवन के अज्ञान रूपी अंधकार को दूर करके प्रकाश दिखलाए।जरूरी नहीं कि गुरु केवल मुनि और तपस्वी ही हो।गुरु कोई भी हो सकता है।एक छोटा सा बच्चा भी हमारा गुरु हो सकता है यदि उसने हमें कोई सही दिशा बताई हो।संसार मे कोई व्यक्ति ऐसा नहीं कि उसके जीवन मे कोई गुरु न रहा हो।व्यक्ति के जन्म से ही उसे गुरु का आश्रय मिल जाता है।हमारी प्रथम गुरु ...

एक पतिव्रता नारी की शक्ति- सावित्री

एक पतिव्रता नारी का सत्य      किसी समय मद्र देश के राजा अश्वपति राज्य किया करते थे।उनकी एक पुत्री थी जिसका नाम सावित्री था।सावित्री बहुत ही गुणवान थी।जब वो युवा हो गई तो उनके पिता ने सावित्री को ही अपना वर चुनने के लिए बोला।सावित्री अपने वर की तलाश मे निकल गई।आखिरकार उसने अपना वर तलाश कर लिया जिसका नाम सत्यवान था।सावित्री ने अपने पिता से सत्यवान से विवाह करने की इच्छा  बताई।तब सावित्री के पिता भी अपनी पुत्री से सहमत हो गए और विवाह के लिए राजी हो गए।उन्होंने सत्यवान के पिता के पास संदेश भिजवाया कि, वो अपनी पुत्री का विवाह सत्यवान से करवाना चाहते हैं।सत्यवान के पिता भी इस प्रस्ताव से खुश हो गए।लेकिन नारद मुनि ये जानते थे कि सत्यवान की आयु बहुत कम है,इसलिए वो सावित्री के सामने प्रकट हुए और बोले कि,जिस व्यक्ति से तुम विवाह करने जा रही हो,वो एक वर्ष के भीतर ही मृत्यु को प्राप्त हो जाएगा।इस पर सावित्री बोली कि,है नारद मुनि!मैंने तो सत्यवान को अपने पति रूप मे मान लिया,अब चाहे वो मुझे एक वर्ष के लिए ही क्यों न मिले।मैं तो उन्हीं की पत्नी बनूंगी,पर आप मुझे कुछ ऐसा उपाय बताओ ज...

गणेश जी और कुबेर जी की कहानी

गणेश जी और कुबेर जी की कहानी     कुबेर जी धन और वैभव के देवता है।जहाँ धन और वैभव होता है वहाँ अभिमान प्रवेश कर ही जाता है और जब अभिमान प्रवेश करता है तो इंसान को अपने वैभव को प्रदर्शित करने की अभिलाषा जाग्रत हो जाती है।धन के देवता कुबेर जी के साथ भी यही हुआ।उनको अपने वैभव और धन को दिखाने की इच्छा जागी, इसलिए उन्होंने अपने महल मे एक दावत रखी जिसमें उन्होंने सभी देवी देवताओं को आमंत्रित किया।कुबेर जी कैलाश पर्वत पर गए और शिव जी को भी दावत का निमंत्रण दिया।शिव जी तो अंतर्यामी थे ,वो समझ गए कि कुबेर जी मे अहंकार आ गया है,इसीलिए वो ये दावत रख रहे है।शिव जी ने कुबेर जी को कहा कि,हम तो नहीं आ पाएंगे,लेकिन हमारी जगह हम अपने पुत्र गणेश को जरूर भेजेंगे।कुबेर जी शिव जी की बात से सहमत हो गए और निमंत्रण देकर चले गए।     गणेश जी समय से कुबेर जी के घर दावत के लिए पहुंच गए।कुबेर जी ने अनेक तरह के पकवान बनवाये।सभी देवी देवता भोजन कर करके अपने अपने निवास स्थान चले गए,लेकिन गणेश जी का पेट नहीं भर रहा था।कुबेर जी बारी बारी से थाल के थाल मंगवाये जा रहे थे ,गणेश जी एक पल मे ही खाकर खत्म क...